नई दिल्ली: ट्रिपल तलाक बिल पर संसद की मुहर लग चुकी है। अब इसे कानून की शक्ल लेने के लिए केवल राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है लेकिन मुस्लिम संगठन इस हकीकत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संयोजक जफरयाब जिलानी ने इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने का ऐलान किया है। जिलानी ने कहा कि बोर्ड की बैठक में सुप्रीम कोर्ट में अपील पर आखिरी फैसला लिया जाएगा।
बता दें कि कांग्रेस के तमाम विरोध के बावजूद कल ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया और इसके साथ ही देश की मुस्लिम महिलाओं को तलाक के दोजख से आजादी भी मिल गई। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश में ट्रिपल तलाक देना गुनाह माना जाएगा और ऐसा करने वाले शख्स को तीन साल तक की जेल की सजा हो सकेगी।
वहीं इस बिल के पास होते ही देश भर में मुस्लिम महिलाओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया। जश्न भी ऐसा मानों वर्षों की गुलामी के बाद आजादी मिली हो। मुस्लिम महिलाएं खुश थीं क्योंकि अब उन्हें तलाक देकर घर से निकालने वाले को कानून नहीं छोड़ेगा। अब कानून में भी उनकी सुनी जाएगी और उनके साथ नाइंसाफी करने वाले को कानून बख्शेगा नहीं।
बता दें कि विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
इस विधेयक को पारित कराते समय विपक्षी कांग्रेस, सपा एवं बसपा के कुछ सदस्यों तथा तेलंगाना राष्ट्र समिति एवं वाईएसआर कांग्रेस के कई सदस्यों के सदन में उपस्थित नहीं रहने के कारण सरकार को काफी राहत मिल गयी। इससे पहले उच्च सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के विपक्षी सदस्यों द्वारा लाये गये प्रस्ताव को 84 के मुकाबले 100 मतों से खारिज कर दिया।