दुनिया भर में कोरोना वायरस खौफ का दूसरा नाम बन चुका है। दुनिया भर में 1 लाख से ज्यादा लोग इसके चलते जान गंवा चुके हैं। कारोना वायरस के टीके विकसित नहीं हो पाए हैं। ऐसे में हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन यानि एचसीक्यू नामक एक दवा सबसे अधिक चर्चा में हैं। यह दवा मलेरिया के इलाज में काम आती है। भारत इसका सबसे बड़ा उत्पादक देश है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप प्रधानमंत्री मोदी से इस दवा की मांग कर चुके हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति इस दवा को उपलब्ध कराने पर पीएम मोदी को हनुमान की संज्ञा दे चुके हैं। लेकिन कोरोना से इलाज में ये दवा कितनी कारगर है, इस पर वैज्ञानिक और डॉक्टर फिलहाल एक राय नहीं हैं।
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार कुछ लैब डाटा बताते हैं कि हाइड्रोक्सिक्लोरोक्वीन दवा कोरोना के मरीजों पर असर डालती है, लेकिन ये आंकड़े अभी ज्यादा मजबूत नहीं हैं। आईसीएमआर के एक्सपर्ट के अनुसार कोरोना के मरीज के संपर्क में आए लोगों या इलाज में जुटे डाक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को दी जा सकती है। लेकिन उन्होंने आगाह किया कि यह दवा हर किसी के लिए नहीं है। इस दवा के दिल पर विपरीत प्रभाव होते हैं। किसी भी दूसरी दवा की तरह इसके साइड इफेक्ट होते हैं। आम लोगों को इससे फायदे से ज्यादा नुकसान हो सकता है।
एम्स डायरेक्टर ने कहा कि चीन और फ्रांस में हुई स्टडी बताती है कि एचसीक्यू और एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन हल्के बुखार वाले कोविड19 के मरीज के इलाज में काम आ सकता है। लेकिन सभी को इससे फायदा होगा अभी इसके भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं। चूंकि अभी कोरोना का कोई ठोस इलाज नहीं है, तब तक इस दवा को प्रयोग करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।