नई दिल्ली। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में अगले हफ्ते से बच्चों के कोवैक्सीन ट्रायल शुरू होंगे। 2 से 6 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन का सेकेंड ट्रायल शुरू होगा। कोवैक्सीन के सेकेंड डोज ट्रायल अगले हफ्ते से शुरू होंगे। बता दें कि, भारत बायोटेक बच्चों पर भारत के पहली स्वदेशी कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण कर रहा है। एम्स 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए COVID-19 वैक्सीन के परीक्षण के केंद्रों में से एक है। दिल्ली के एम्स में 6 से 12 साल के बच्चों को वैक्सीन की दूसरी खुराक पहले ही दी जा चुकी है।
देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर कमजोर पड़ने के बीच बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन के जल्द आने की उम्मीद और बढ़ गई है। दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने जहां एक तरफ कम संक्रमण वाले जिले में स्कूल खोले जाने की बात कही है, वहीं उनका कहना है कि बच्चों का वैक्सीनेशन होने से माता-पिता का कॉन्फिडेंस बेहतर होगा, वे अपने बच्चे को स्कूल भेजने के बारे में सोच सकते हैं।
गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए COVID-19 टीकों का नैदानिक परीक्षण जल्द ही पूरा किया जाएगा। Covaxin के अलावा, बच्चों के लिए Zydus Cadila के टीके का भी परीक्षण चल रहा है।
2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल जारी
देश में 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल जारी है। दिल्ली के एम्स सहित देश के छह सेंटरों पर 575 बच्चों पर यह ट्रायल हो रहा है। पहले डोज का वैक्सीनेशन हो चुका है, दूसरे डोज की भी शुरुआत हो चुकी है। लेकिन, इसका रिजल्ट आने में सितंबर तक का समय लग सकता है। अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही फैसला लिया जा सकता है कि बच्चों में इस वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाए या नहीं।
बच्चों पर ट्रायल का डेटा सितंबर तक
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि देश में बच्चों पर कोवैक्सीन (Covaxin) का ट्रायल चल रहा है। ट्रायल की रिक्रूटमेंट पूरी हो चुकी है। इसके ऑब्जर्वेशन और इम्युनिटी का डेटा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरी उम्मीद है कि इसका अंतिम डेटा सितंबर तक आ जाएगा और उसके बाद बच्चों में भी वैक्सीनेशन शुरू किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कोवैक्सीन के अलावा भी कई और विकल्प हैं जिसमें जाइडस का जायकोव-डी वैक्सीन है। इस वैक्सीन का ट्रायल बच्चों पर भी हुआ है। कंपनी ने भारत में इस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। इसके अलावा फाइजर का भी ट्रायल बच्चों पर हुआ है, जिसे एफडीए ने बच्चों में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। आने वाले समय में कई विकल्प होंगे। जिस तरह के सबूत आ रहे हैं उसमें यह भी देखा जा रहा है कि बच्चों में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी भी मिल रही है।