नयी दिल्ली: अगस्ता वेस्टलैंड रिश्वत मामले में जांच एजेंसियों को एक बड़ा झटका लगा है। इटली ने इस केस में कथित बिचौलिये कार्लो गेरोसा को यह कहते हुए प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है कि उसकी भारत के साथ कोई परस्पर कानूनी सहायता संधि नहीं है। सूत्रों ने कहा कि हाल के घटनाक्रम के बाद सीबीआई ने उन प्रावधानों का उल्लेख करते हुए विदेश मंत्रालय से सम्पर्क किया जिसके तहत उसे दोनों देशों के बीच कोई कानूनी सहायता संधि नहीं होने के बावजूद भारत को प्रत्यर्पित किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि कार्लो वैनेंटिनो फर्डिनान्डो गेरोसा (71) एक इतालवी एवं स्विस नागरिक है जिसके बारे में माना जाता है कि उसने रिश्वत घोटाले में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे के लिए तकनीकी विशेषताओं में हेरफेर की प्रक्रिया उसके और पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी के रिश्तेदार के बीच कथित रूप से एक बैठक के बाद शुरू हुई थी।
उन्होंने कहा कि इंटरपोल ने गेरोसा के खिलाफ एक रेड कार्नर नोटिस जारी किया था। उसे प्राधिकारियों ने इटली में रेड कार्नर नोटिस के आधार पर 3600 करोड़ रूपये के अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदा मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के सिलसिले में पकड़ा था। गेरोसा इस मामले के वांछित तीन कथित बिचौलियों में से एक है तथा उससे पूछताछ और उसका बयान मामले की जांच कर रहीं प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई दोनों के लिए बहुत जरूरी है।
क्या है अगस्ता हेलिकॉप्टर घोटाला?
भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की खरीद के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड के साथ साल 2010 में किए गए 3 हजार 600 करोड़ रुपये के करार को जनवरी 2014 में भारत सरकार ने रद्द कर दिया। इस करार में 360 करोड़ रुपये के कमीशन के भुगतान का आरोप लगा। कमीशन के भुगतान की खबरें आने के बाद भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर सरकार ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी थी। जिस वक्त करार पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया उस वक्त भारत 30 फीसदी भुगतान कर चुका था और तीन अन्य हेलीकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी।
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर बिक्री में गलत ‘अकाउंटिंग’ और भ्रष्टाचार करने को लेकर फिनमेकानिका के पूर्व प्रमुख गुसेप ओर्सी को साढ़े चार साल कैद की सजा सुनाई गई है। इतालवी रक्षा एवं एयरोस्पेस कंपनी ने 3,600 करोड़ रुपये में 12 चॉपर की डील की थी, जिसमें भ्रष्टाचार को लेकर मिलान की अपीलीय अदालत ने 2014 के पिछले अदालती आदेश को पलट दिया।