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भारत की इस मिसाइल से तिलमिलाया चीन, कहा-बीजिंग को अपनी ढाल मज़बूत करनी चाहिए

गुरुवार को हुई टेस्टिंग के बाद भारत अमरीका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे मुल्क़ों की कतार में खड़ा हो गया है क्योंकि ये सभी वो देश हैं जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइलें रखते हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 19, 2018 11:10 IST
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भारत की इस मिसाइल से तिलमिलाया चीन, कहा-बीजिंग को अपनी ढाल मज़बूत करनी चाहिए

नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। एटमी क्षमता वाली इस मिसाइल की जद में न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि चीन का उत्तरी हिस्सा भी आ सकता है। भारत की इस मिसाइल पर चीन की तरफ़ से कड़ी प्रतिक्रिया मिली है। वहां के जानकार कह रहे हैं कि नई दिल्ली के इस कदम के बाद बीजिंग को अपनी ढाल मज़बूत करनी चाहिए। चीन के एक मिसाइल विशेषज्ञ का कहना है कि भारत ने हाल में जिस इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का परिक्षण किया है और जो परमाणु हमले में सक्षम हैं, उससे चीन की सुरक्षा को सीधा ख़तरा है और ये परीक्षण परमाणु निरस्त्रीकरण के वैश्विक प्रयासों के लिए एक चुनौती है। चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स के अनुसार चीनी सैन्य विशेषज्ञ सोंग ज़ोंपिंग का कहना है, "इस परीक्षण के बाद बड़े पैमाने पर इस मिसाइल का उत्पादन होगा और आने वाले सालों में इसे सेना में शामिल कर लिया जाएगा।"

देश में ही निर्मित इस इंटर कॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) की रेंज 5000 किलोमीटर है। देश में इस तरह की यह सबसे लंबी रेंज की मिसाइल है। 50 टन की यह मिसाइल एक टन परमाणु हथियार ढो सकती है। जमीन से जमीन पर मार करने वाली यह मिसाइल अग्नि सीरीज की सभी मिसाइलों में सबसे उन्नत है। इसमें नेविगेशन, इंजन और वॉरहेड में नई तकनीक का इस्तेमाल हुआ है। अपनी रेंज में यह दुनिया की सबसे सटीक मिसाइलों में एक है।

इस परीक्षण के साथ भारत की स्वदेशी मिसाइल क्षमताओं तथा प्रतिरोधक शक्ति में और मजबूती आ गई है।

रक्षा सूत्रों ने बताया कि सभी रडारों, ट्रैकिंग प्रणालियों और रेंज स्टेशनों ने मिसाइल के उड़ान प्रदर्शन पर नजर रखी। परीक्षण को ‘‘पूर्ण सफल’’ करार देते हुए सूत्रों ने कहा कि अत्याधुनिक मिसाइल ने 19 मिनट तक उड़ान भरी और 4,900 किलोमीटर की दूरी तय की। सूत्रों ने कहा, ‘‘चार सफल विकासात्मक परीक्षणों के बाद अग्नि-5 मिसाइल का यह पहला यूजर एसोसिएट परीक्षण है।’’ अग्नि-5 मिसाइल अग्नि श्रृंखला की सर्वाधिक आधुनिक मिसाइल है जो नौवहन, दिशा-निर्देशन, आयुध और इंजन के लिहाज से नई प्रौद्योगिकियों से लैस है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (इसरो) के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अतिरिक्त नौवहन प्रणाली, अत्यधिक सटीकता वाली रिंग लेजर गाइरो आधारित जड़त्वीय नौवहन प्रणाली (आरआईएनएस) तथा सर्वाधिक आधुनिक और सटीक सूक्ष्म नौवहन प्रणाली (एमआईएनएस) ने सटीकता के कुछ मीटर के दायरे में मिसाइल का लक्षित बिन्दु पर पहुंचना सुनिश्चित किया।’’ उन्होंने कहा कि मिसाइल को इस तरह से तैयार किया गया है कि अपने प्रक्षेपणपथ के उच्चतम बिन्दु पर पहुंचने के बाद धरती के गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से यह अपने लक्ष्य की तरफ यात्रा जारी रखने के लिए बढ़ी हुई गति के साथ धरती की तरफ लौटती है।

अत्याधुनिक मोबाइल लॉंचर से जुड़े एक कैनिस्टर से हुआ तीसरा, चौथा और जनवरी 18 का परीक्षण ‘डेलिवरेबल कनफिगरेशन’ थे जो किसी ‘ओपन कनफिगरेशन’ की तुलना में इस क्षमता से योग्य बनाते हैं कि मिसाइल को बहुत कम तैयारी के साथ दागा जा सकता है। अत्यधिक विश्वसनीयता, रखरखाव पर ज्यादा व्यय न होने और अधिक सचलता जैसे इसके अन्य लाभ हैं। भारत के पास अपने आयुध में अग्नि श्रृंखला की अग्नि-1 (700 किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम), अग्नि-2 (दो हजार किलोमीटर), अग्नि-3 और अग्नि-4 (2500 किलोमीटर से लेकर 3500 किलोमीटर की दूरी तक मार करने की क्षमता) वाली मिसाइलें हैं।

गुरुवार को हुई टेस्टिंग के बाद भारत अमरीका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे मुल्क़ों की कतार में खड़ा हो गया है क्योंकि ये सभी वो देश हैं जो एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइलें रखते हैं। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार ये मिसाइल चीन के उत्तरी इलाकों तक आसानी से पहुंचने का दावा किया जा रहा है लेकिन चीन के जानकारों ने अग्नि-5 की मारक क्षमता को लेकर शंकाएं भी जताई हैं।

वेबसाइट के अनुसार शांघाई एकैडमी ऑफ़ सोशल साइंसेस के इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंटरनेशनल रिलेशन्स में काम कर रहे रिसर्च फेलो हू ज़ियोन्ग के अनुसार, "देखा जाए तो ये मिसाइल बीजिंग तक पहुंच सकता है लेकिन भारत की मिसाइल तकनीक औसत दर्ज के कहीं नीचे है।" हू ने कहा कि इसके बावजूद चीन को सतर्क रहना चाहिए और अपनी मिसाइल तकनीक को अपग्रेड करना चाहिए।

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