नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती की गई है। कुछ कंपनियां कश्मीर पहुंच गईं हैं। अन्य कंपनियां जल्द से जल्द घाटी पहुंचेंगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के घाटी के सीक्रेट मिशन पर आने के तत्काल बाद उठाई है। इस फैसले ने कश्मीर घाटी में राजनीतिक दलों व अलगाववादियों में हलचल तेज कर दी है।
कुछ लोग कश्मीर में 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने को अनुच्छेद 35ए को भंग करने से पहले केंद्र की तैयारी के रूप में देख रहे हैं तो कई कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में तेजी लाने के लिए। इन 100 कंपनियों में सीआरपीएफ की 50, बीएसएफ-10, एसएसबी-30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां है। हर एक कंपनी में 90 से 100 कर्मी मौजूद रहते हैं।
गृह मंत्रालय के इस फैसले पर पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष शाह फैसल ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि जम्मू में इस बात को लेकर अफवाह है कि घाटी में कुछ बड़ा होने वाला है।
शाह फैसल ने ट्वीट कर कहा, गृह मंत्रालय की ओर से कश्मीर में सीआरपीएफ के 100 अतिरक्त जवानों की कंपनी तैनात करना चिंता पैदा कर रहा है। इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस बात की अफवाह है कि घाटी में कुछ बड़ा भयानक होने वाला है। क्या यह अनुच्छेद 35ए को लेकर है?
वहीं दो दिन पहले नेशनल कांफ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी केंद्र व राज्य प्रशासन पर अनुच्छेद 35ए को भंग किए जाने की आशंका को लेकर लोगों में भय पैदा करने का आरोप लगाया था। नेशनल कांफ्रेंस महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार और राज्यपाल सत्यपाल मलिक अक्सर दावा करते हैं कि कश्मीर में हालात सुधर गए हैं।
सागर ने कहा कि जब हालात में सुधार है तो फिर यहां सुरक्षाबलों की संख्या क्यों बढ़ाई जा रही है। आम लोगों में इससे डर पैदा होगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि केंद्र सरकार राज्य के संविधान के साथ कोई छेडख़ानी करने के मूड में है।