नई दिल्ली: 5 देशों के प्रभावशाली समूह BRICS ने गुरुवार को कहा कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल अन्य देशों के खिलाफ आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसने आतंकवादियों के सीमा पार से आवागमन सहित सभी तरह के आतंकवाद से लड़ने का दृढ़ आह्वान किया। समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में वर्चुअल शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श किया। भारत की मेजबानी में आयोजित शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनपिंग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सनारो ने भाग लिया।
ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) समूह में दुनिया के 5 सबसे बड़े विकासशील देश शामिल हैं जो वैश्विक आबादी का 41 प्रतिशत, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का 16 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करता है। शिखर सम्मेलन के अंत में जारी एक बयान में समूह ने हिंसा से दूर रहने और अफगानिस्तान में स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया। ब्रिक्स ने कहा, ‘हम हिंसा से बचने और शांतिपूर्ण तरीकों से स्थिति के समाधान का आह्वान करते हैं। हम देश में स्थिरता, नागरिक शांति, कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी अंतर-अफगान वार्ता को बढ़ावा देने में योगदान देने की आवश्यकता पर बल देते हैं।’
ब्रिक्स ने हाल में काबुल एयरपोर्ट के पास हुए आतंकवादी हमलों की भी कड़े शब्दों में निंदा की जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे और अनेक लोग घायल हुए थे। ब्रिक्स ने कहा, ‘हम आतंकवाद से लड़ने की प्राथमिकता को रेखांकित करते हैं, जिसमें आतंकवादी संगठनों द्वारा अफगान क्षेत्र को आतंकवादी पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करने और अन्य देशों के खिलाफ हमले करने के साथ-साथ अफगानिस्तान के भीतर नशीली दवाओं के व्यापार को रोकने के प्रयास शामिल हैं। हम मानवीय स्थिति के समाधान और महिलाओं, बच्चों तथा अल्पसंख्यकों सहित मानवाधिकारों को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हैं।’
आतंकवाद के खतरे का उल्लेख करते हुए ब्रिक्स ने कहा कि वह आतंकवादियों के सीमा पार से आवागमन सहित सभी तरह के आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध है। शिखर सम्मेलन में समूह की आतंकवाद-रोधी रणनीति को लागू करने के लिए ब्रिक्स आतंकवाद-रोधी कार्य योजना का भी समर्थन किया गया, जिसे समूह के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों द्वारा अपनाया गया था। बयान में कहा गया, ‘हम-जब भी, कहीं भी और किसी के द्वारा भी-आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कड़ी निंदा करते हैं। हम आतंकवाद से उत्पन्न खतरे, आतंकवाद में सहायक चरमपंथ और कट्टरपंथ को पहचानते हैं।’
यह दोहराते हुए कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, नेताओं ने कहा, ‘हम अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान के आधार पर आतंकवाद के खतरे को रोकने तथा उसका मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों में और योगदान करने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। हम आतंकवाद और आतंकवाद में सहायक चरमपंथ का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को अस्वीकार करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के भीतर अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक समग्र संधि को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने का आह्वान करते हैं।’