नयी दिल्ली। एक अधिवक्ता ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल को पत्र लिखकर हाल में एक समाचार पत्र को दिये गए साक्षात्कार के दौरान अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा की गई टिप्पणियों के लिए उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के वास्ते उनकी सहमति मांगी है। अधिवक्ता सुनील कुमार सिंह के पत्र में दावा किया है कि भूषण का 29 नवंबर का साक्षात्कार ‘‘इस बात की ओर संकेत करता है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय निष्पक्ष तरीके से काम नहीं करता है।’’
अधिवक्ता के अनुसार प्रथम दृष्टया साक्षात्कार की सामग्री ‘‘दुराग्रही’’ है। पत्र में कहा गया है, ‘‘यह उच्चतम न्यायालय की समग्रता के खिलाफ गंभीर इशारा है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय एक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष संस्था नहीं है, बल्कि सरकार के आगे झुकने को इच्छुक है। यह बेहद आपत्तिजनक और दुस्साहसिक है। यह माननीय सर्वोच्च न्यायालय पर एक दुर्भावनापूर्ण हमला है।’’
पत्र में कहा गया है, ‘‘प्रशांत भूषण द्वारा दिए गए बयान बहुत गंभीर प्रकृति के हैं। ये दुर्भावनापूर्ण हैं और उच्चतर न्यायपालिका को बदनाम करने की मंशा से दिये गये हैं।’’ इससे पूर्व अटॉर्नी जनरल ने भूषण के खिलाफ उनके ट्वीट के लिए आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के वास्ते सहमति देने से इनकार कर दिया था। भूषण ने ट्वीट में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक विशेष हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराये जाने पर सवाल उठाये थे। उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट करने के कारण आपराधिक अवमानना के दोषी अधिवक्ता प्रशांत भूषण को पर एक रुपए का सांकेतिक जुर्माना लगाया था।