जयपुर। अजमेर जिला प्रशासन ने जिले के उन सरकारी कर्मचारियों की संख्या का पता लगाने की कवायद शुरू की है जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में जाते हैं। प्रशासन की इस पहल पर भाजपा के स्थानीय विधायक और पूर्व मंत्री ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यह कवायद विधानसभा में इस आशय का सवाल उठने के बाद शुरू की गयी है।
गंगापुर (सवाईमाधोपुर) के निर्दलीय विधायक रामकेश ने 27 जून से 5 अगस्त तक चले विधानसभा के दूसरे सत्र के दौरान तारांकित प्रश्न के जरिए यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखाओं और राज्य में ऐसे सरकारी कर्मचारियों की सूची के बारे में जानकारी मांगी जो शाखा में जाते हैं।
अजमेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर कैलाश चंद्र शर्मा ने गुरूवार को कहा कि हम विधानसभा प्रश्न के अनुसार विवरण एकत्र कर रहे हैं और कर्मचारियों को एक स्व घोषित घोषणापत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है जिसमें उनसे आरएसएस की शाखा में शामिल होने अथवा नहीं होने के बारे में जानकारी मांगी गई है। कर्मचारियों को यह जानकारी एक प्रारूप में कल तक देने को कहा गया है।
इस मामले को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए अजमेर (उत्तर) के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने आरोप लगाया कि यह सरकारी कर्मचारियों में डर का माहौल पैदा की कोशिश है। देवनानी ने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारियों पर अघोषित आपातकाल लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने सरकार से सवाल पूछा कि जब सामाजिक संगठन में शामिल होने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, तो इस तरह की स्व घोषणा क्यों मांगी जा रही है?
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार पक्षपाती तरीके से काम कर रही है और पूर्व में किसी कर्मचारी से किसी अन्य सामाजिक संगठन से संबद्धता के बारे में इस तरह की कोई घोषणा नहीं मांगी गई थी। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस बारे में विधायक रामकेश से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि सरकारी कर्मचारियों को इस तरह की किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए इसलिये उन्होंने यह प्रश्न उठाया।
उन्होंने बताया कि उन्होंने यह प्रश्न कर्मचारियों का विवरण लेने और राज्य के सभी जिलों के सरकारी कर्मचारियों जो आरएसएस से संबंध रखते के बारे में पता लगाने के लिये उठाया है। उन्होंने कहा कि मैंने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ सेवा नियमों के तहत कोई कार्रवाई करने की इच्छा रखती है।