झुंझुनू। कलाकार किसी भी पात्र का अभिनय करें और उसे जीवंत कर दे तो उस कलाकार का कोई सानी नहीं है। अगर पात्र का अंतिम सांस लेने का कोई अभिनय हो और कोई कलाकार उस अभिनय को करते हुए अंतिम सांस ले, तो यही कहा जाएगा कि कलाकार पात्र के अभिनय में इतना डूब गया कि उसने अभिनय को सच में बदल दिया।
जी हां, झुंझुनू के मलसीसर इलाके के ‘करने की कंकडेऊ’ गांव में रामलीला के मंचन में दशरथ का अभिनय करने वाले कलाकार ने अंतिम सांस लेने का अभिनय करते ही कुछ देर बाद अपने प्राण त्याग दिए। ककड़ेउ में रामलीला का मंचन हो रहा था और राजा दशरथ के राम वनवास में विलाप का प्रसंग मंचन में अभिनय कर रहे कुंदन लाल इतने भावुक हुए की अपने प्राण ही त्याग दिए। राजा दशरथ का अभिनय कर रहे कुंदन लाल के आकस्मिक निधन से सभी श्रद्धालुओ की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। जिसके बाद रामलीला आयोजकों ने समय से पहले ही रामलीला का समापन किया।
कुन्दन ने अभिनय की छाप छोड़ी लेकिन ईश्वर की लीला भी साथ में चलती रही। राजा दशरथ विलाप के दौरान ही कुन्दन ने नश्वर शरीर का त्याग कर दिया। कुन्दन ने राजा दशरथ का क़िरदार हक़ीक़त में बदल दिया। हर साल की तरह श्री रामलीला परिषद कंकड़ेऊ कलाँ में पिछले चार दिन से रामलीला का मंचन चल रहा था रामलीला में राम वनवास का मंचन दिखाया जा रहा था, जिसमें श्रीराम के वनवास से आहत होकर उनके पिता राजा दसरथ प्राण त्याग देते हैं।
तारानगर के रहने वाले 65 साल के कुंदन पिछले कई सालों से राजा दशरथ का किरदार निभात आ रहे हैं। रात को राजा दशरथ के अभिनय के एक घण्टे बाद सच में उनका देहांत हो गया। सुबह उनका पार्थिव शरीर श्री रामलीला परिषद् के द्वारा उनके घर तक पहुंचाया गया। वो कई रामलीलाओं में राजा दशरथ का किरदार निभा चुके हैं और इसे भी संयोग ही माना जाएगा की उनके भाई जगदीश भी दशरथ का अभिनय किया करते थे।
30 साल पहले जगदीश का ठीमाऊ गांव में रामलीला मैं दशरथ का रोल अदा करते हुए अंतिम सांस ली थी। आज सवेरे जब गांव वालों को कुंदन मल के निधन का पता चला तो एक बारगी तो लोगों को विसश्वास ही नही हुआ कि ऐसा भी हो सकता है बाद में लोगों का कुंदन लाल के घर तांता लग गया।