एक जघन्य हत्याकांड के आरोपी की ये कहानी पूरी तरह फिल्मी लगती है। अपनी गर्लफ्रेंड की हत्याकर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक सूटकेस में लाश लावारिस छोड़ने का यह आरोपी 8 साल तक क्राइम ब्रांच की आखों में धूल झोंकता रहा। नाम बदला, नौकरियां बदली, सिम कार्ड बदले यहां तक कि मां-बाप से संपर्क तक नहीं किया। अंत में गुरुग्राम के एक अस्पताल में मौत के चंद घंटों पहले माता-पिता को सूचना दी। लेकिन जब तक माता-पिता और पुलिस पहुंची तब तक आरोपी राजू अपने साथ कई राज़ दफन कर मौत की नींद सो चुका था।
यह कहानी है दिल्ली के बहुचर्चित नीतू सोलंकी हत्याकांड और उसके आरोपी राजू गहलोत की। नीतू सोलंकी की 2011 में हत्या कर दी गई थी। नीतू का शव नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर एक सूटकेस में मिला था। लगभग 8 साल तक पुलिस की क्राइम ब्रांच इस अनसुलझे रहस्य को जानने के लिए राजू के फोन को सर्विलांस पर लेकर उसकी तलाश कर रही थी। लेकिन लंबी जद्दोजहद के बाद आखिर कार अब पुलिस को राजू गहलोत और नीतू सोलंकी हत्याकांड की फाइल बंद करनी पड़ रही है।
8 साल तक पुलिस ने पीकॉक गर्ल के हत्यारे की तलाश
यह केस 11 फ़रवरी 2011 का है। इस दिन एक अज्ञात कॉलर ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लावारिस बैग मिलने की सूचना पुलिस को दी थी। एक शख्स उसे छोड़कर ऑटो में बैठकर भाग गया है। मौके पर पहुचीं पुलिस ने जब बैग खोलकर देखा तो उसमे एक लड़की की लाश थी, पुलिस ने लाश को पोस्टमोर्टम के लिए भेजकर जांच शुरू की। लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी उसकी पहचान नहीं हो पाई। पुलिस के पास बस एक क्लू था लाश के पेट और कमर पर एक मोर का टेटू बना हुआ था और इस वजह से ये केस पीकॉक गर्ल के नाम से बेहद चर्चा में आ गया था। पहचान न होने पर पुलिस ने शव का अंतिम संस्कार कराया।
ऐसे हुई नीतू सालंकी की पहचान
एक दिन एक शख्स पुलिस के पास पंहुचा और फोटोग्राफ से पहचान कर बताया कि ये उनकी बेटी नीतू सोलंकी है जो लॉ ग्रेज्युएट है लेकिन अलग अलग कॉल सेंटर में काम कर चुकी है। फ़िलहाल अपने दोस्त के साथ रह रही थी। 2011 में नीतू सौलंकी ने अपने परिवार को बताया कि उसे सिंगापुर में अच्छी जॉब मिली है और वो वहा गई है। हालांकि पुलिस को इस बात पर भी शक है कि वो कभी सिंगापुर गई भी या नहीं।
एयरइंडिया में काम करता था राजू गहलोत
नीतू और राजू की पहचान एक पार्टी में एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई इसके बाद दोनों मिलने लगे और पहले मुम्बई में साथ रहने लगे फिर गोवा और फिर कुछ समय के लिए बैंगलौर शिफ्ट हो गए। राजू ने फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा किया था और एयरइंडिया में काम कर रहा था लेकिन उसने बिना किसी को बताए ये नौकरी छोड़ दी थी। नीतू वेबकैम के जरिए अपने परिवार से बात किया करती थी एक दिन नीतू की रिश्तेदार ने उसके चोट के निशान भी वेबकैम के जरिए देखे लेकिन नीतू ने कहा वो गिर गई थी। पुलिस को नीतू के पिता ने कुछ जानकारियां दी, नीतू वेस्ट दिल्ली के उत्तमनगर की रहने वाली थी और उनके पिता का डेरी और प्रॉपर्टी का काम था।
राजू के कज़न ने खोला राज़
पुलिस ने राजू गहलोत के एक कजन नवीन को इस मामले में गिरफ्तार किया था, नवीन ने पुलिस को बताया कि बैंगलोर के बाद नीतू और राजू दिल्ली के आश्रम के पास हरिनगर में एक किराए के मकान में गलत पहचान के साथ रह रहे थे और ज्यादा किसी से बात नहीं करते थे। 10-11 फ़रवरी 2011 की रात को दोनों के बीच झगड़ा हुआ और राजू ने नीतू के ऊपर हमला किया जिससे वो बेहोश हो गई और फिर राजू ने गला दबाकर नीतू की हत्या कर दी और फिर अपने कजन नवीन को बताया और नवीन ने राजू की मदद की। पुलिस ने राजू के कजन नवीन को तो गिरफ्तार कर लिया लेकिन राजू का 8 सालो तक कोई पता नहीं लगा।