नई दिल्ली: विधि मंत्रालय के अनुसार प्रत्येक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के सामने लगभग 4,500 लंबित मामले हैं। जबकि, अधीनस्थ न्यायपालिका के प्रत्येक न्यायाधीश को लगभग 1,300 लंबित मामलों का निपटारा करना है। राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के अनुसार, 2018 के अंत में, जिला और अधीनस्थ अदालतों में 2.91 करोड़ मामले लंबित थे। जबकि, 24 उच्च न्यायालयों में 47.68 लाख मामले लंबित थे।
तेलंगाना का अपना उच्च न्यायालय बनने के बाद एक जनवरी से देश में उच्च न्यायालयों की संख्या 25 हो गई है। आंकड़ों के अनुसार उच्च न्यायालयों में प्रति न्यायाधीश 4,419 मामलें लंबित हैं और प्रत्येक निचली अदालत के न्यायाधीश के सामने 1,288 मामले हैं। इसमें कहा गया है कि अधीनस्थ न्यायालयों की स्वीकृत संख्या 22,644 है जिसमें इस समय 17,509 न्यायिक अधिकारी हैं। इस तरह 5,135 न्यायिक अधिकारियों की कमी है।
इसी तरह उच्च न्यायालयों में स्वीकृत संख्या 1,079 हैं जिसमें फिलहाल 695 न्यायाधीश है और इस तरह 384 न्यायाधीशों की कमी है। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने हाल में उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से आग्रह किया था कि वे निचली न्यायपालिका के लिए न्यायिक अधिकारियों की भर्ती में तेजी लाए।
मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मुख्य न्यायाधीशों से निचली अदालतों के लिए न्यायाधीशों की भर्ती के वास्ते समय पर परीक्षा और साक्षात्कार लिए जाने का अनुरोध किया था। क्योंकि, उनके अनुसार मामलों के अधिक संख्या में लंबित होने के मुख्य कारणों में से एक न्यायिक अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने में हो रही देरी है।