नई दिल्ली। JNU में हुई हिंसा के बाद से पूरे देश में एकबार फिर इस यूनिवर्सिटी को लेकर चर्चाओं का दौर चल रहा है। एबीवीपी और लेफ्ट छात्र संगठन एक दूसरे को यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
सोमवार को एबीवीपी के नेशनल जनरल सेक्रेटरी निधि त्रिपाठी ने एक बार फिर लेफ्ट छात्र संगठनों पर आरोपों की बारिश कर दी। उन्होंने कहा कि JNU में हुई हिंसा पर चर्चाएं की जा रही हैं लेकिन ये महज 5 जनवरी तक ही सीमित हैं। यह देखना होगा कि हिंसा केवल 5 जनवरी तक ही सीमित नहीं है, यह देखना होगा कि 28 अक्टूबर 2019 से 5 जनवरी 2020 तक कैंपस में क्या हुआ है।
निधि त्रिपाठी ने आगे कहा कि यह एक नक्सल अटैक था। इसकी स्क्रिप्ट 28 अक्टूबर 2019 को लिखी गई थी और इसका समापन 5 जनवरी 2020 को हिंसा के माध्यम से हुआ, जहां खून बहाया गया था और छात्रों के हाथ पैर तोड़े गए।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा हमले की जांच के लिए पहुंची JNU भाषा
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की एक टीम पांच जनवरी को कैंपस में हमले की जांच के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) पहुंची। अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि जिन नौ लोगों की पहचान की गई थी उसमें पंकज मिश्रा भी शामिल था और दिल्ली पुलिस ने अपनी पूर्व की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसका नाम भी लिया था। वह भी जांच में शामिल हुआ।
एक टीवी न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में नजर आए अक्षत अवस्थी और रोहित शाह को भी जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजे गए हैं। इसके अलावा पुलिस ने सोशल मीडिया पर हमले के साझा किए गए वीडियो में नकाबपोश युवती की पहचान कोमल शर्मा के तौर पर की है। वह चेक शर्ट पहनी हुई, हल्का ब्लू स्कार्फ लगाए हुए और हाथों में लाठी लिए हुई नजर आयी थी। पुलिस ने बताया कि दौलत राम कॉलेज की छात्रा कोमल शर्मा को भी जांच में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा गया है । उसका फोन शनिवार रात से ही स्विच ऑफ है।