नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान विदेश से लौटे या देश में ही एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले करीब 23 लाख लोग इस समय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा बनाई गयी पृथक-वास सुविधाओं में हैं। अधिकतर राज्य सरकारों और केंद्रशासित क्षेत्रों के प्रशासनों ने उनके क्षेत्र में बाहर से आने वालों के लिए कम से कम सात दिन के अनिवार्य पृथक-वास का नियम बनाया है, वहीं कुछ राज्यों ने बाहर से आने वालों के लिए घर पर पृथक-वास को अनिवार्य बनाया है।
एक आधिकारिक आकलन के मुताबिक, 26 मई की स्थिति के अनुसार, विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के पृथक-वास केंद्रों में कुल 22.81 लाख लोग हैं। 12 दिन पहले, 14 मई को यह आंकड़ा इससे आधा था और तब 11.95 लाख लोग पृथक-वास में थे। महाराष्ट्र में पृथक-वास केंद्रों में सर्वाधिक लोग हैं जिनकी संख्या 6.02 लाख है, इसके बाद गुजरात में 4.42 लाख लोग पृथक-वास केंद्रों में हैं। गत 14 मई को महाराष्ट्र में 2.9 लाख लोग पृथक-वास में थे, वहीं गुजरात में दो लाख लोग थे।
सरकार के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान देशभर में विभिन्न स्थानों से कुल 91 लाख प्रवासी मजदूर ट्रेनों और बसों से अपने गंतव्य पहुंचे हैं। वंदे भारत मिशन के तहत अब तक करीब 40 देशों से लगभग 30 हजार भारतीय नागरिकों को सरकार वापस लाई है। सरकार की 60 देशों से करीब एक लाख भारतीयों को वापस लाने की योजना है। अभी जो लोग पृथक-वास केंद्रों में हैं, वे ट्रेनों, बसों या विशेष अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से अनेक राज्यों में पहुंचे हैं।
अधिकारी ने कहा कि सरकारी केंद्रों में पृथक-वास में रहने वाले लोगों की संख्या हर पल बदल रही है क्योंकि 14 मई से पहले या उसके बाद कई लाख लोग सात या 14 दिन की पृथक-वास अवधि पूरी करने के बाद अपने घर जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक प्रवासी श्रमिक लौटे हैं और राज्य में 3.6 लाख लोग पृथक-वास में हैं। इनमें अधिकतर अपने घरों में हैं। इसी तरह बिहार में 2.1 लाख लोग पृथक-वास केंद्रों में हैं। उत्तर प्रदेश में 14 मई को 2.3 लाख लोग पृथक-वास में थे, वहीं बिहार में तब 1.1 लाख लोग पृथक-वास में थे।