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हुआ खुलासा क्यों बच गया असली कातिल, आरुषि मर्डर केस में मिला बड़ा 'सबूत'?

सवाल ये है कि इतने हाईप्रोफाइल और अहम केस में ऐसी लापरवाही किसने की? हाईकोर्ट ने सीबीआई और सीडीएफडी पर बेहद ही तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे सीबीआई और सीडीएफडी ने राजेश और नूपुर तलवार को निर्दोष साबित होने से रोकने के लिए एक

Written by: India TV News Desk
Updated on: October 14, 2017 13:23 IST
Aarushi- India TV Hindi
Aarushi

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर आरुषि और हेमराज का कातिल कौन है? अगर राजेश और नुपूर तलवार नहीं तो फिर कौन? दरअसल इस केस से जुड़े एक सबूत में बड़ी लापरवाही सामने आई। 15 मई 2008 को नोएडा में जलवायु विहार के एल 32 फ्लैट में आरुषि और हेमराज की हत्या हुई थी। इस मर्डर के करीब 16 दिन बाद 1 जून 2008 को जांच एजेंसियों ने नौकर हेमराज के कमरे से तकिए का एक कवर बरामद किया था। ये भी पढ़ें: आखिर टूट गई हनीप्रीत, माना बाबा के साथ 'रिश्ता', कबूल किए गुनाह?

केस की तफ्तीश में 14 जून 2008 को राजेश तलवार के नौकर कृष्णा के कमरे से पर्पल कलर का तकिए का कवर बरामद किया। सीबीआई ने तकिए के इन दोनों कवर को सीडीएफडी, हैदराबाद में डीएनए टेस्ट के लिए भेजा। करीब चार महीने बाद आई सीडीएफडी की रिपोर्ट ने उस दावे की पुष्टि कर दी कि राजेश और नूपुर ने हेमराज का कत्ल नहीं किया। सीडीएफडी ने रिपोर्ट में कहा कि कृष्णा के कमरे से बरामद पर्पल कलर के तकिए के कवर पर हेमराज का डीएनए मिला है। इससे ये साबित होता है कि कत्ल की रात तलवार के फ्लैट में कृष्णा मौजूद था।

केस की शुरुआती जांच करने वाले सीबीआई अफसर अरुण कुमार ने भी इसी दिशा में जांच की थी और राजेश तलवार के घर पर आने वाले तीन नौकरों से पूछताछ की थी लेकिन इस रिपोर्ट के करीब तीन साल बाद सीडीएफडी ने सीबीआई को बताया कि टाइपिंग की गलती की वजह से हेमराज और कृष्णा के तकिए के कवर की रिपोर्ट पर गलत नंबर पड़ गया। इस वजह से कृष्णा के तकिए के कवर पर हेमराज का डीएनए पाया गया।

सवाल ये है कि इतने हाईप्रोफाइल और अहम केस में ऐसी लापरवाही किसने की? हाईकोर्ट ने सीबीआई और सीडीएफडी पर बेहद ही तल्ख टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे सीबीआई और सीडीएफडी ने राजेश और नूपुर तलवार को निर्दोष साबित होने से रोकने के लिए एक अहम सबूत को नजरंदाज किया। 2008 से लेकर 2011 तक किसी भी सीबीआई अफसर ने सीडीएफडी रिपोर्ट में गलती को क्यों नहीं देखा और पकड़ा।

2011 में जांच अधिकारी एजीएल कॉल ने इस गलती को पकड़ा लेकिन सीबीआई इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई जांच अधिकारी कौल को सीडीएफडी रिपोर्ट पर शक क्यों हुआ। सीबीआई ने दोनों तकिए के कवर की फोटो ट्रायल कोर्ट में भी नहीं रखी थी। ऐसे में लगता है कि इससे छेड़छाड़ की गई हो।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सीडीएफडी के साइंटिफिक एक्सपर्ट एसपीआर प्रसाद की गवाही का जिक्र किया है और कहा है कि सीडीएफडी ने रिपोर्ट पर जो सील लगाई थी वो टूटी हुई थी। लिफाफे को फाड़ा गया था लेकिन ये नहीं पता कि ऐसा किसने और कब किया। फैसले के बाद सीबीआई के अफसर एक-दूसरे पर ही उंगली उठा रहे हैं।

नौ साल तक अपनी ही बेटी आरुषि के कत्ल का आरोप झेलने से लेकर चार साल जेल में गुजारने वाले राजेश और नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया है लेकिन सवाल ये है कि क्या देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई ऐसे ही जांच करती है। देखिए वीडियो अगले स्लाइड में......

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