नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों ने लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग से दिल्ली सरकार और विधानसभा के अधिकारियों को भी सुनवाई में शामिल कर उनसे भी पूछताछ करने की मांग की है जिससे यह साबित हो सके कि बतौर संसदीय सचिव उनकी नियुक्ति लाभ के पद के दायरे में नहीं आती है। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर इस मामले में फिर से सुनवाई कर रहे आयोग से आप विधायकों ने गत 16 मई को पेश अर्जी में उन अधिकारियों से पूछताछ करने का अनुरोध किया है जिन्होंने आयोग के समक्ष पिछली सुनवाई के दौरान इस मामले में दस्तावेज पेश किये थे।
उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने आप विधायक अल्का लांबा, आदर्श शास्त्री, और केजरीवाल सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत सहित 20 विधायकों को लाभ के पद पर होने के कारण विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की आयोग की सिफारिश को खारिज करते हुये मामले की फिर से सुनवाई करने को कहा था। अदालत ने गत 19 जनवरी को इस मामले में आयोग द्वारा आप विधायकों का पक्ष नहीं सुने जाने की दलील को सही ठहराते हुये यह फैसला सुनाया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर इन विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी, जिसे विधायकों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
गत 16 मई को आयोग में शुरु हुयी सुनवाई के दौरान आप विधायकों द्वारा पेश अर्जी में कहा गया है कि इस मामले में विधानसभा के सचिव और दिल्ली सरकार के वित्त और विधि विभाग के अधिकारियों से भी पूछताछ की जाये जिससे यह पता चल सके कि इन विधायकों ने संसदीय सचिव के रूप में काम करते हुये क्या कोई ‘लाभ’ अर्जित किया था। इसमें कार्यालय के लिये सरकार से जगह लेने और सरकारी वाहनों के इस्तेमाल की भी अधिकारियों से पुष्टि करने की विधायकों ने मांग की है। इतना ही नहीं विधायकों ने अर्जी में आयोग से इस मामले के शिकायतकर्ता प्रशांत पटेल से भी पूछताछ करने की मांग की है।
पटेल ने बताया कि आयोग में आज भी सुनवाई हुयी और यह कल एवं आने वाले दिनों में भी जारी रहेगी। पटेल ने कहा कि उन्होंने आप विधायकों की इस अर्जी का विरोध किया है क्योंकि उच्च न्यायालय ने आयोग को विशुद्ध रूप से लाभ के पद के मसले पर ही सुनवाई केन्द्रित करने का आदेश दिया था। उन्होंने दलील दी कि आयोग कोई दीवानी मामलों की अदालत नहीं है जिसमें गवाहों और बयानों का पूरक परीक्षण हो।