Friday, November 22, 2024
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आप की अदालत: आरिफ मोहम्मद खान ने कहा- AIMPLB को तीन तलाक का विरोध करने में लग गए 30 साल

AIMPLB को तीन तलाक का विरोध करने में लग 30 साल क्यों लग गए? आरिफ मोहम्मद खान ने इंडिया टीवी पर रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए ये बातें कही।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 11, 2020 23:47 IST
Arif Mohammad Khan in Aap Ki Adalat- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Arif Mohammad Khan in Aap Ki Adalat

नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि ऑल इंडिया पर्सनल बोर्ड जो कि तीन तलाक के मुद्दे पर शाहबानो के मामले के बाद से लगातार अड़ा रहा लेकिन 2017 में सुप्रीम कोर्ट में जाकर कहा कि तीन तलाक बिद्दत है, हम खुद अपने स्तर पर इसमें सुधार करेंगे। AIMPLB को तीन तलाक का विरोध करने में लग 30 साल क्यों लग गए? आरिफ मोहम्मद खान ने इंडिया टीवी पर रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए ये बातें कही।

आरिफ मोहम्मद खान ने सीएए से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मुसलमानों के बीच भ्रामक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जानेवाली है। उन्होंने कहा कि CAA ने पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों को नागरिकता देने के गांधी के वादे को पूरा किया है। खान ने कहा, 'महात्मा गांधी ने 7 जुलाई, 1947 को लिखा था कि यदि हिंदू और सिख पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते तो उन्हें पूरा हक है कि वे आकर भारत में रहें। यह भारत सरकार का कर्तव्य है कि वह उन्हें रोजगार, नागरिकता और अन्य सभी सुविधाएं मुहैया कराए जिससे वे भारत में एक अच्छी जिंदगी जी सकें।'

केरल के राज्यपाल ने यह स्वीकार किया कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को बेहतर तरीके से लोगों के सामने रखा जा सकता था। उन्होंने कहा-'मैं मानता हूं हमारी कमी है, हमारी कमी है कि हम इस बात को ठीक से बता नहीं सके।'

आरिफ मोहम्मद खान ने वर्ष 2003 में गृह मामलों पर संसदीय समिति की 107वीं रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें पाकिस्तानी और बांग्लादेशी 'अल्पसंख्यक शरणार्थियों' को भारत की नगारिकता देने की सिफारिश की गई थी। इस समिति ने इन अल्पसंख्यक शरणार्थियों को राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करने की भी सिफारिश की थी। खान ने कहा- '2003 में ये सिफारिश कर रहे थे कि नॉन मुस्लिम्स जो बांग्लादेश से आए हुए हैं उनको सिटिजनशिप दी जानी चाहिए तब ये कहां थे?' उन्होंने कहा- 'प्रणब मुखर्जी इस समिति के चेयरमैन थे और इसमें कपिल सिब्बल, हंसराज भारद्वाज, अंबिका सोनी और मोतीलाल वोरा जैसे सदस्य थे।' 

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