नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण की डराने वाली तस्वीर पर कल लोकसभा में जबरदस्त चर्चा हुई। लोकसभा में हुई चर्चा इस बात के संकेत हैं कि ये समस्या बड़ी है और इस पर नियंत्रण पाना भी बेहद जरूरी है लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जब पूरा देश प्रदूषण पर चिंता जता रहा था तब कई जगहों पर पराली जलाई जा रही थी। देर शाम पड़ोसी राज्य हरियाणा के फतेहाबाद से पराली जलाने की तस्वीरें सामने आईं जो बताने के लिए काफी हैं कि भले ही संसद में प्रदूषण पर चर्चा हो लेकिन हम नहीं सुधरेंगे।
पराली जलने को लेकर नासा ने भी एक तस्वीर जारी की है जिसमें पंजाब, हरियाणा के कई इलाकों में पराली जलती दिख रही है। पंजाब-हरियाणा के खेतों से उठता धुआं जल्द ही दिल्ली को गैस चैम्बर बनाने पहुंच जाएगा लेकिन उससे पहले ही दिल्ली की हवा एक बार फिर से जहरीली होनी शुरू हो गई है। हवा की रफ्तार धीमी पड़ते ही दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है और मौसम विभाग की मानें तो 21 नवंबर तक दिल्ली में हवा की क्वालिटी फिर से खराब होकर खतरनाक स्तर पर पहुंचने की आशंका है।
इससे पहले मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की समस्या पर लोकसभा में जोरदार बहस हुई। शुरुआत कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने की। उन्होंने कहा कि दिल्ली को चीन की राजधानी बीजिंग से पॉल्यूशन से निजात पाने के उपाय सीखनी चाहिए। पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने दिल्ली में प्रदूषण के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया। परवेश ने आरोप लगाया कि पराली के नाम पर केजरीवाल सरकार अपनी नाकामी छिपा रही है।
राजधानी में प्रदूषण पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कहा कि दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है। वहीं आज दिल्ली में प्रदूषण पर पार्लियामेंट्री पैनल की बैठक बुलाई गई है। पहले शनिवार को ये मीटिंग बुलाई गई थी लेकिन 28 में सिर्फ 4 सदस्य ही मीटिंग के लिए पहुंचे थे। सदस्यों के नहीं आने से मीटिंग नहीं हो पायी थी। दिल्ली के प्रदूषण पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी चिंता जाहिर की।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित आईआईटी, एनआईटी और आईआईएसटी के निदेशकों के सम्मेलन में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “यह साल का एक ऐसा समय है जब राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों की वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है। हम सब एक ऐसी चुनौती का सामना कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं रही। कई वैज्ञानिकों और भविष्यवक्ताओं ने दुनिया का अंत होने (डूम्स डे) की बात कही है। हमारे शहरों में आजकल धुंध जैसे हालात को देखकर यह डर सताने लगा है कि भविष्य के लिए यह बात कहीं अभी ही सच नहीं हो जाए।“
वहीं मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के दल के प्रमुख प्रोफेसर हग कोए ने कहा, "दिल्ली में वायु प्रदूषण कई कारकों से जुड़ा हुआ है, जिनमें भारी ट्रैफ़िक, अपशिष्टों को जलाया जाना, मॉनसून से पहले धूल भरी हवा का चलना शामिल है। बदलते मौसम में फसलों का जलाया जाना भी प्रदूषण का बहुत महत्वपूर्ण स्रोत है। इसी प्रकार प्रदूषण के भी काफी व्यापक प्रकार हैं जिनमें फेफड़ों को नुकसान, हृदय रोग, बौद्धिक अक्षमता और वायु गुणवत्ता से जुड़ी अन्य स्थितियां पैदा होती हैं।"