नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बैंकों और मोबाइल फोन सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों से कहा कि वे खातों और मोबाइल फोन नंबर से आधार संख्या जोड़ने की अंतिम तिथि के बारे में अपने उपभोक्ताओं को जानकारी दे। जस्टिस ए.के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि कोर्ट को पता चला है कि बैंक और मोबाइल सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियां आधार संख्या जोड़ने की अंतिम तिथि के बगैर मोबाइल उपभोक्ताओं और खाताधारकों पर संदेशों की बौछार कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि बैंक खातों से आधार संख्या जोड़ने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर और मोबाइन फोन से आधार संख्या जोड़ने की अंतिम तिथि छह फरवरी है। एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने केन्द्र के हालिया हलफनामे का जिक्र करते हुये कहा कि इसमें कहा गया है कि आधार को जोडने की अंतिम तारीख बढाकर 31 मार्च 2018 की जा सकती है। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता इस मुद्दे को उस पीठ के समक्ष उठा सकते हैं जो आधार से संबंधित सारे मामलों पर नवंबर के अंतिम सप्ताह में सुनवाई करेगी।
पीठ ने कहा, ‘‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन सारे तर्को पर विचार की आवश्यकता है। मामला नवंबर के अंतिम सप्ताह में सुनवाई के लिये आ रहा है और बैंक खातों को आधार से जोडने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढा दी गयी है।’’ चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 30 अक्तूबर को कहा था कि संविधान पीठ गठित की जायेगी जो नवंबर के अंत में आधार से संबंधित सारे मामलों की सुनवाई करेगी।
हाल ही में नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने अपनी व्यवस्था में कहा था कि निजता का अधिकारी संविधान के तहत मौलिक अधिकार है। आधार की वैधता को चुनौती देने वाली अनेक याचिकाओं में दावा किया गया था कि इससे उनके निजता के अधिकार का हनन होता है। इस बीच, केन्द्र ने 25 अक्तूबर को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये आधार को जोडने की अनिवार्य की अवधि उन लोगों के लिये 31 मार्च, 2018 तक बढा दी गयी है जिनके पास आधार नहीं है और जो इसके लिये पंजीकरण कराने के इच्छुक हैं।