Saturday, November 02, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. CBI विवाद: CVC ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट

CBI विवाद: CVC ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट

देश के सबसे पेचीदा अपराधों और विवादों को सुलझाने के लिए काम करने वाली CBI आजकल खुद विवादों के घेरे में हैं।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 12, 2018 11:50 IST
A timeline of feud between top CBI bosses Alok Verma, Rakesh Asthana- India TV Hindi
A timeline of feud between top CBI bosses Alok Verma, Rakesh Asthana

नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में बढ़े विवाद पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ने सोमवार को सीलबंद लिफाफे में अपनी 2 रिपोर्ट सौंप दी है, इस मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को निर्धारित की गई है। देश के सबसे पेचीदा अपराधों और विवादों को सुलझाने के लिए काम करने वाली CBI आजकल खुद विवादों के घेरे में हैं। कोर्ट ने CVC को निर्देश दिया था कि वह CBI निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की अपनी प्रारंभिक जांच 2 हफ्ते के अंदर पूरी करे। वहीं, वर्मा ने CBI के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को बिंदुवार तरीके से नकारा है। 

वर्मा और अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद विवाद काफी गहरा गया था। बाद में केंद्र ने दोनों अधिकारियों को जबरन छुट्टी पर भेजा दिया और दोनों से उनके सारे अधिकार वापस ले लिए थे। केंद्र के इन्हीं फैसलों को वर्मा ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। आइए, जानते हैं देश की प्रमुख जांच एजेंसी में यह विवाद कहां से शुरू हुआ और कैसे जोर पकड़ता गया।

CBI विवाद की पूरी कहानी:

19 जनवरी 2017: यह पूरी कहानी लगभग 2 साल पहले शुरू हुई, जब आलोक वर्मा को 19 जनवरी 2017 को 2 साल के कार्यकाल के लिए CBI प्रमुख बनाया गया।

22 अक्टूबर 2017: राकेश अस्थाना को CBI का विशेष निदेशक नियुक्त किया।

2 नवंबर 2017: मशहूर वकील प्रशांत भूषण NGO ‘कॉमन कॉज’ की ओर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अस्थाना की नियुक्ति को चुनौती दी।

28 नवंबर 2017: सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की याचिका को खारिज कर दिया। 

12 जुलाई 2018: आलोक वर्मा जब विदेश में थे तो CVC ने प्रमोशन पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई और जानना चाहा कि इसमें कौन शामिल होगा। CBI ने जवाब दिया कि वर्मा का प्रतिनिधित्व करने का अस्थाना के पास कोई अधिकार नहीं है।

24 अगस्त 2018: राकेश अस्थाना ने कैबिनेट सचिव से शिकायत कर आलोक वर्मा पर कदाचार का आरोप लगाया। मामला CVC को भेजा गया।

21 सितंबर 2018: CBI ने CVC को बताया कि राकेश अस्थाना भ्रष्टाचार के 6 मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं।

15 अक्टूबर`2018: CBI ने हैदराबाद के बिजनसमैन सतीश बाबू की शिकायत पर घूसखोरी का एक मामला दर्ज किया और FIR में अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ साजिश रचने और रिश्वत लेने के आरोप लगाए। इस FIR में CBI के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार, दुबई में रहने वाले मनोज प्रसाद और उनके भाई सोमेश्वर प्रसाद को भी नामित किया था। सतीश का आरोप है कि उन्होंने मोइन क़ुरैशी केस में अपने खिलाफ जांच रुकवाने के लिए 3 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। सतीश बाबू के खिलाफ CBI जांच की अगुआई राकेश अस्थाना ही कर रहे थे।

16 अक्टूबर 2018: CBI ने रिश्वतखोरी के इस मामले में कथित बिचौलिए मनोज प्रसाद को दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया। CBI की FIR के मुताबिक, मनोज ने दावा किया था कि वह CBI में कई बड़े लोगों को जानता है और जांच को रुकवा सकता है।

20 अक्टूबर 2018: CBI ने मजिस्ट्रेट के समक्ष मुख्य शिकायतकर्ता सतीश बाबू का बयान दर्ज किया। CBI के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार जिस वक्त 'मोइन क़ुरैशी केस' की जांच कर रहे थे, उस समय उन्होंने इस केस के एक गवाह सतीश बाबू के नाम समन जारी किया था। CBI के मुताबिक, सतीश बाबू को 'मोइन क़ुरैशी केस' में राहत देने के लिए उनके अफसरों ने रिश्वत ली थी। CBI ने कुमार के आवास और अपने मुख्यालय में उनके कार्यालय पर छापा मारा, और उनके मोबाइल फोन, आईपैड एवं अन्य दस्तावेज जब्त करने का दावा किया।

22 अक्टूबर 2018: CBI ने डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार को जांच से जुड़े सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया। देवेंद्र कुमार पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने सतीश बाबू का एक 'काल्पनिक बयान' इसलिए पेश किया क्योंकि उनका उद्देश्य CBI के डायरेक्टर आलोक वर्मा पर राकेश अस्थाना द्वारा लगाए गए आरोपों को बल देना था। इस आधार पर CBI ने अपनी FIR में देवेंद्र कुमार को अभियुक्त नंबर 2 और राकेश अस्थाना को अभियुक्त नंबर 1 बनाया।

23 अक्टूबर 2018: राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर CBI की FIR को चुनौती दी। CBI ने दिल्ली हाई कोर्ट में ये दावा किया कि ‘दोनों अभियुक्त CBI के हेडक्वॉर्टर में बैठकर जांच में राहत देने के बदले पैसे वसूलने का एक रैकेट चला रहे थे।’ कोर्ट में पेशी के बाद उप-पुलिस अधीक्षक देवेंद्र कुमार को 7 दिन के लिए CBI की हिरासत में भेज दिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्थाना खिलाफ दर्ज FIR को खारिज नहीं किया लेकिन उनकी गिरफ्तारी पर कुछ दिनों के लिए रोक लगा दी। रात 9 बजे CBI के डायरेक्टर आलोक वर्मा ने एक आदेश जारी कर अस्थाना से सारी जिम्मेदारियां वापस ले लीं।

23 अक्टूबर 2018: इसी दिन मुख्य सतर्कता आयुक्त (CVC) ने एक आदेश जारी किया और कहा कि CBI के निदेशक आलोक वर्मा अपने खिलाफ लगे आरोपों की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। देर रात भारत सरकार के 'डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनेल ऐंड ट्रेनिंग' के आदेश पर राकेश अस्थाना के साथ CBI के डायरेक्टर आलोक वर्मा को भी छुट्टी पर भेज दिया गया। इसके साथ ही एम नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से अंतरिम निदेशक बनाया गया। उन्होंने पद संभालते ही एजेंसी के 13 अधिकारियों के तबादले कर दिए। राव ने जिन अफसरों के ट्रांसफर किए उनमें वे अधिकारी भी शामिल हैं जो अस्थाना के खिलाफ घूसखोरी की जांच कर रहे थे।

24 अक्टूबर 2018: वर्मा खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की।

25 अक्टूबर 2018: NGO कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अस्थाना सहित CBI अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच SIT से कराने की मांग की। कोर्ट ने कहा कि वह तदनुसार तत्काल सुनवाई पर विचार करेगा। वहीं, दिल्ली की अदालत ने मनोज प्रसाद की CBI हिरासत 5 दिन बढ़ाई। इसी दिन वर्मा के आधिकारिक आवास के बाहर IB के 4 लोग पकड़े गए जिनके बारे में गृह मंत्रालय ने कहा कि वे नियमित ड्यूटी पर थे, न कि जासूसी कर रहे थे।

26 अक्टूबर 2018: वर्मा की अर्जी पर हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने केंद्र और सीवीसी को नोटिस जारी किया और सीवीसी को जांच पूरी करने के लिए दो हफ्ते का वक्त दिया। कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक को वर्मा के खिलाफ CVC जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपा था।

9 नवंबर 2018: CBI निदेशक आलोक वर्मा केंद्रीय सतर्कता आयुक्त केवी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष उपस्थित हुए और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा उनके ऊपर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का लगातार दूसरे दिन खंडन किया। वर्मा के जांच समिति के समक्ष उपस्थित होने के कुछ ही घंटे बाद अस्थाना भी शुक्रवार को भ्रष्टाचार निरोधी संस्था के कार्यालय पहुंचे। हालांकि, उनकी किसी भी वरिष्ठ अधिकारी से मुलाकात नहीं हो सकी।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement