नई दिल्ली: दिल्ली में बुधवार को कोरोना वायरस के 93 नए मामले सामने आए है। इन सभी नए मामलों का संबंध तबलीगी जमात से है। इन नए मामलों के सामने आने के बाद दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 669 पहुंच गई है। दिल्ली में अब तक तब्लीगी जमात से जुड़े 426 कोरोना पॉजिटिव मामले हो चुके है। दिल्ली में बढ़ते मामलों के कारण सरकार ने संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 20 हॉट स्पॉट को सील कर दिया है।
दिल्ली पुलिस ने तबलीगी जमात के नेता मौलाना साद कंधावली का भी पता लगा लिया है। निजामुद्दीन इलाके में पिछले महीने एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करने को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से वह फरार थे। पुलिस सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दक्षिण पूर्वी दिल्ली के जाकिर नगर में मौलाना के मौजूद होने का पता चला। हालांकि, इससे पहले मौलाना के वकील तौसीफ खान ने कहा था कि साद स्व पृथक वास में हैं और 14 दिनों की अवधि खत्म होने के बाद वह जांच में शामिल होंगे। साद के स्व पृथक वास की अवधि अगले हफ्ते खत्म होने की उम्मीद है।
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने निजामुद्दीन के थाना प्रभारी द्वारा दी गई एक शिकायत पर 31 मार्च को मौलवी सहित सात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। थाना प्रभारी ने लॉकडाउन के आदेशों का कथित उल्लंघन करने और कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिये सामाजिक मेलजोल से दूरी नहीं रखते हुए यहां एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किये जाने के सिलसिले में यह शिकायत की थी। इसके एक दिन बाद अपराध शाखा ने मौलाना साद और अन्य को नोटिस देकर आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के तहत ब्यौरा मांगा था। इस हफ्ते उन्हें दूसरी नोटिस भी भेजी गई।
खान ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘मौलाना साद फिलहाल स्व-पृथक वास में हैं और 14 दिनों की अवधि पूरी हो जाने के बाद वह जांच में शामिल होंगे।’’ प्राथमिकी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने मरकज के प्राधिकारियों से 21 मार्च को संपर्क किया था और उन्हें इस सरकारी आदेश की याद दिलाई थी कि 50 से अधिक लोगों की भागीदारी वाला कोई राजनीतिक या धार्मिक कार्यक्रम निषिद्ध है। इसमें कहा गया है कि हालांकि किसी ने भी पुलिस के निर्देश पर ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, कथित तौर पर साद का एक ऑडियो संदेश 21 मार्च को व्हाट्सऐप पर पाया गया, जिसमें वह अपने समर्थकों से लॉकडाउन और सामाजिक मेलजोल से दूरी की अवज्ञा करने तथा निजामुद्दीन के धार्मिक कार्यक्रम में शरीक होने को कहते सुने गये।
गौरतलब है कि सरकार ने कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए 24 मार्च को 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। उसी दिन हजरत निजामुद्दीन पुलिस थाने के प्रभारी और मरकज पदाधिकारियों के बीच एक बैठक हुई। इसमें साद, मोहम्मद अशरफ, मोहम्मद सलमान, युनूस, मुरसालीन सैफी, जिशान और मुफ्ती शहजाद शामिल हुए थे तथा उन्हें लॉकडाउन के आदेशों के बारे में सूचना दी गई थी। हालांकि, यह पाया गया कि बार-बार की कोशिशों के बावजूद उन्होंने स्वास्थ्य विभाग या अन्य सरकारी एजेंसी को मरकज के अंदर भारी जमावड़े के बारे में नहीं बताया और जानबूझकर सरकारी आदेश की अवहेलना की।
डिफेंस कॉलोनी के एसडीएम ने परिसर का कई बार निरीक्षण किया और पाया कि विदेशी नागरिकों सहित करीब 1300 लोग सामाजिक मेलजोल से दूर रहने के निर्देशों का पालन किये बगैर वहां रह रहे हैं। यह भी पाया गया कि सैनेटाइजर और मास्क भी परिसर में नहीं थे। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने के पहले पखवाड़े में निजामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों सहित उनके संपर्क में आए हजारों लोगों के देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि देश में तबलीगी जमात के 25,000 से अधिक सदस्यों और उनके संपर्क में आये लोगों को पृथक वास में रखा गया है। निजामुद्दीन के धार्मिक कार्यक्रम में कम से कम 9,000 लोग शामिल हुए थे। बाद में इनमें से कई लोगों ने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्राएं कीं।