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चिंताजनक है देश के 8 प्रमुख IIT की स्थिति, शिक्षकों के 36 फीसद पद खाली

RTI से खुलासा हुआ है कि देश के इन शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में औसत आधार पर शिक्षकों के लगभग 36 प्रतिशत स्वीकृत पद खाली पड़े हैं।

Written by: Bhasha
Updated : December 02, 2018 13:07 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
Image Source : PTI प्रतीकात्मक तस्वीर

इंदौर: कड़ी प्रतिस्पर्धा वाली प्रवेश परीक्षा में कामयाब होने के बाद देश के 8 प्रमुख भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में दाखिला पाने वाले करीब 66,000 विद्यार्थी फैकल्टी के अभाव से जूझ रहे हैं। सूचना के अधिकार (RTI) से खुलासा हुआ है कि देश के इन शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में औसत आधार पर शिक्षकों के लगभग 36 प्रतिशत स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। मध्यप्रदेश के नीमच में रहने वाले चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उनकी RTI के जवाब में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने उन्हें 26 नवंबर को पत्र भेजा, जिसमें ये जानकारी दी गई है।  

RTI के तहत मुहैया कराए गए आंकड़े बताते हैं कि मुंबई (बॉम्बे), दिल्ली, गुवाहाटी, कानपुर, खड़गपुर, चेन्नई (मद्रास), रूड़की और वाराणसी के RTI में फिलहाल 65,824 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इन RTI में पढ़ा रहे शिक्षकों की संख्या 4,049 है, जबकि इनमें फैकल्टी के कुल 6,318 पद स्वीकृत हैं। यानी 2,269 पद खाली रहने के कारण इन संस्थानों में करीब 36 प्रतिशत शिक्षकों की कमी है। औसत आधार पर इन 8 संस्थानों में विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात 16:1 है। यानी वहां हर 16 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक नियुक्त है।

शिक्षकों की कमी के मामले में सबसे गंभीर स्थिति वाराणसी के IIT, BHU में है, जहां अलग-अलग पाठ्यक्रमों में 5,485 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। इस प्रतिष्ठित संस्थान में 548 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 265 शिक्षक काम कर रहे हैं। यानी इस संस्थान में शिक्षकों के 283 पद खाली पड़े हैं और ये आंकड़ा स्वीकृत पदों के मुकाबले करीब 52 प्रतिशत की कमी दर्शाता है। इस संस्थान में हर 21 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक है। 

वरिष्ठ शिक्षाविद् और करियर सलाहकार जयंतीलाल भंडारी ने इन आंकड़ों की रोशनी में कहा, "देश में IIT की तादाद अब बढ़कर 23 पर पहुंच चुकी है। ऐसे में ये बात बेहद चिंतित करने वाली है कि 8 प्रमुख IIT शिक्षकों की कमी से अब तक जूझ रहे हैं। जब इन संस्थानों में ये हाल है, तो इस सिलसिले में नए IIT की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।"उन्होंने कहा कि IIT में शिक्षकों की कमी को सरकार द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता से दूर किया जाना चाहिए, क्योंकि इस अभाव से शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थानों में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। 

RTI के तहत मिले आंकड़ों के मुताबिक स्वीकृत पदों के मुकाबले शिक्षकों की कमी IIT खड़गपुर में 46 प्रतिशत, IIT रूड़की में 42 प्रतिशत, IIT कानपुर में 37 प्रतिशत, IIT दिल्ली में 29 प्रतिशत, IIT मद्रास में 28 प्रतिशत, IIT मुंबई में 27 प्रतिशत और IIT गुवाहाटी में 25 प्रतिशत के स्तर पर है।

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