नई दिल्ली। साइबर सिक्युरिटी रिसर्चर के मुताबिक, 70 लाख से ज्यादा भारतीय कर्मचारियों के फाइनेंशियल डाटाबेस में हैकर्स और स्कैमर्स द्वारा सेंध लगाई जा चुकी है। जिसकी वजह से सभी तरह की बैंकिंग डिटेल डार्क वेब पर पहुंच गई है। साइबर सिक्युरिटी रिसर्चर ने कहा कि ये फाइनेंशियल डाटाबेस है इसलिए ये हैकर्स और स्कैमर्स के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें फिशिंग अटैक करने के लिए निजी डिटेल्स शामिल हैं। सिक्युरिटी फर्म का मानना है कि इस तरह के डाटा थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा लीक हुए हैं जो बैंक के क्रेडिट या डेबिड कार्ड्स कस्टमर्स को सेल कर रहे हैं।
इन कंपनियों में लगी सेंध
बताया जा रहा है कि देश की चार बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों के बैंक खातों में हैकर्स द्वारा सेंध लगाई जा चुकी है, जिसकी वजह से सभी तरह की बैंकिंग डिटेल डार्क वेब पर पहुंच गई है। Axis बैंक, भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), केलॉग्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और मैकेंजी एंड कंपनी के कुछ कर्मचारियों का बैंकिंग डेटा चोरी किया गया है। इन कर्मचारियों की सालाना आय 7 लाख रुपए से लेकर 75 लाख रुपए तक है।
9 साल का है डेटा
डार्क वेब पर लीक हुए इस डाटाबेस की साइज 2GB है जिनमें ये जानकारियां भी शामिल हैं कि यूजर्स किस तरह का अकाउंट इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्होंने मोबाइल अलर्ट सर्विस ली है या नहीं। सिक्युरिटी रिसर्चर ने समाचार एजेंसी IANS को बताया कि, ये डाटाबेस साल 2010 से लेकर 2019 के बीच का है जो कि हैकर्स और साइबर क्रिमिनल्स के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता है। Hackers लीक पर्सनल डिटेल्स का इस्तेमाल करके कार्ड होल्डर्स को फिशिंग या किसी दूसरे तरीके से अपना निशाना बना सकते हैं।
बैंक खाता कैसा है ये जानकारी भी शामिल
आपके निजी डाटा जैसे कि फोन नंबर, ई-मेल आईडी, क्रेडिट और डेबिट कार्ड तक की जानकारी हैकर्स के हाथ लग जाए तो आपका बैंक खाता जल्द खाली हो सकता है। सिक्युरिटी रिसर्चर राजशेखर रजारिया ने 8 दिसंबर को आगाह किया है कि 70 लाख से ज्यादा भारतीयों का निजी डाटा ‘डार्क वेब’ (हैकर्स द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला इंटरनेट सर्विस) पर लीक हुआ है। इसमें यूजर्स के नाम, उनके एनुअल इनकम और एंप्लायर की जानकारियां आदि शामिल हैं। डार्क वेब पर इन कर्मचारियों के क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड सहित अन्य वित्तीय डेटा शामिल है।
इंटरनेट सिक्योरिटी रिसर्चर राजशेखर रजाहरिया के दावे के मुताबिक लीक डेटा में User name, Phone number से लेकर सालाना कमाई तक शामिल है। हालांकि अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि 70 लाख यूजर्स का ये लीक डेटा सही है या नहीं। सिक्योरिटी रिसर्चर ने कुछ यूजर्स का डेटा क्रॉस-चेक भी किया, जिसमें ज्यादातर जानकारी एकदम सही निकली। रजाहरिया के मुताबिक-मुझे लगता है कि किसी ने इस डेटा/लिंक को Dark web पर बेच दिया और बाद में यह सार्वजनिक हो गया।
लीक डेटा में करीब 5 लाख ग्राहकों का PAN भी है शामिल
सिक्युरिटी फर्म का मानना है कि इस तरह के डाटा थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा लीक हुए हैं जो बैंक के क्रेडिट या डेबिड कार्ड्स कस्टमर्स को सेल कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने ये भी कहा है कि लीक डाटा में करीब 5 लाख यूजर्स के PAN कार्ड नंबर आदि भी शामिल हैं।
(इनपुट-IANS)