सवाल है निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर कब लटकाया जाएगा? जवाब सुनिए, निर्भया की मां कहती है- “इस तरह के अपराधी आज भी जिंदा हैं, ये कानून व्यवस्थआ की विफलता है। पिता कहते हैं- रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद अभी तक क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं की गई है और, न ही दया याचिका। न जाने आगे क्या होगा।
निर्भया के छह आरोपी थे। कोर्ट ने चार मुजरिमों को फांसी की सजा सुना रखी है। तीन मुजरिमों ने रिव्यू पिटिशन दी थी, कोर्ट ने खारिज कर दी। चौथे मुजरिम अक्षय की ओर से कोई रिव्यू पिटिशन दाखिल नहीं की गई। एक नाबालिग मुजरिम को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र भेजा हुआ है और छठें मुजरिम ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी। बताते हैं कि अभी मुजरिमों के पास क्यूरिटिव पिटिशन दाखिल करने का मौका है। ऐसे तमाम कानूनी दावपेंच के बीच सवाल खड़ा है कि निर्भया को इंसाफ कब मिलेगा?
वो तारीख थी 16 दिसंबर, साल था 2012, बस का नम्बर था DL 1PC 0149 और जगह थी दिल्ली के मुनिरका का बस स्टॉप। यहां से निर्भया और उसका दोस्त बस में चढ़े। वो नहीं जानते थे कि दिल्ली की बरसती सर्द ठंड ने बस में पहले से मौजूद लोगों के अंदर वाले इंसान को जमा दिया है। एक नाबालिग समेत बस में मौजूद छह लोगों ने निर्भया को अपनी हवस को शिकार बनाया और उसके साथ बर्बरता की। निर्भया के दोस्त को पीटा, और फिर दोनों को महिपालपुर के पास सड़क किनारे छोड़कर चले गए।
निर्भया का दोस्त राहगीरों से मदद मांगता रहा लेकिन बड़े शहर के छोटे चरित्र ने उनकी बेबसी और लाचारगी को दरकिनार कर दिया। थोड़ा वक्त बीता तो मौके पर पुलिस पहुंची, जिसने निर्भया को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। आप यकीन मानिए जितने आसान शब्दों में ये बात लिखी गई है, उतना ही भयंकर वो दृश्य था, जिसे हमने लिखने से छोड़ दिया। निर्भया ने हादसे के 13 दिन बाद सिंगापुर के एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया था। उस वक्त निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए पूरी दिल्ली सड़कों पर आ गई थी।
निर्भया कांड में कब क्या-क्या हुआ....?
16 दिसंबर 2012: दिल्ली के वसंत विहार इलाके में रात के साढ़े 9 बजे एक चार्टर्ड बस में युवती के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उसके साथ मौजूद दोस्त को भी बुरी तरह से पीटा गया। उसी रात युवती को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया गया।
17 दिसंबर 2012: पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद गैंगरेप के मुख्य आरोपी राम सिंह को हिरासत में लिया गया।
18 दिसंबर 2012: घटना की खबर फैलते ही वसंत विहार थाने के बाहर लोगों ने प्रदर्शन करना शुरु कर दिया। पीड़िता की हालत बिगड़ने पर दो सर्जरी की गई। वहीं पुलिस ने राम सिंह को कोर्ट में पेश कर उसे 5 दिन के लिए रिमांड होम में रखा।
19 दिसंबर 2012: गैंगरेप के बाकी पाचों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
20 दिसंबर 2012: जंतर-मंतर और इंडिया गेट पर लोगों का प्रदर्शन
21 दिसंबर 2012: दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस ने रिपोर्ट दाखिल की
22 दिसंबर 2012: अस्पताल में एसडीएम ने निर्भया का बयान दर्ज किया
23 दिसंबर 2012: इंडिया गेट पर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस का लाठीचार्ज
26 दिसंबर 2012: सफदरजंग अस्पताल में भर्ती निर्भया की हालत बिगड़ी
27 दिसंबर 2012: एयर एंबुलेंस से सिंगापुर के एलिजाबेथ अस्पताल लाया गया
29 दिसंबर 2012: सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया की मौत
31 दिसंबर 2012: जंतर-मंतर पर युवाओं का विरोध प्रदर्शन
3 जनवरी 2013: साकेत कोर्ट में 5 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट
11 मार्च 2013: तिहाड़ जेल में मुख्य आरोपी राम सिंह ने खुदकुशी की
10 सितंबर 2013: साकेत कोर्ट ने 4 दोषियों को फांसी की सज़ा सुनाई
13 मार्च 2014: दिल्ली HC ने 4 दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखी
15 मार्च 2014: दोषियों ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की
20 दिसंबर 2015: नाबालिग दोषी बाल सुधार गृह से रिहा। निर्भया के माता-पिता ने इंडिया गेट पर निकाला मार्च
27 मार्च 2016: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा।
5 मई 2017: सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सदमे की सुनामी बताते हुए इन चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा
9 नवंबर 2017: एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की
9 जुलाई 2018: निर्भया गैंगरेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुनाया। दोषियों की रिव्यू पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद अब दोषियों को दी गई फांसी की सजा कायम रहेगी।