![56 awaiting repatriation as Pakistan not confirming nationality, says Centre to Supreme Court | AP](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि 56 कैदी, जो पाकिस्तानी समझे जाते हैं, भारत में हिरासत में हैं, लेकिन वापस नहीं भेजे जा पा रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान सरकार को अभी उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि करनी है। सरकार ने कहा है कि इस वजह से ये व्यक्ति सजा पूरी होने या उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनने के बावजूद अभी भी हिरासत में हैं। जस्टिस ए. के. सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के समक्ष भारतीय जेलों में बंद विदेशी नागरिकों को वापस भेजने के लिए दायर जनहित याचिका शुक्रवार को सूचीबद्ध थी, जिसे पीठ ने तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।
सरकार ने कोर्ट में दाखिल अतिरिक्त हलफनामे में कहा है कि विदेश मंत्रालय के माध्यम से इन कैदियों की राष्ट्रीयता की पुष्टि का मुद्दा नियमित रूप से पाकिस्तान के उच्चायोग के साथ उठाया जाता है और इस्लामाबाद द्वारा इन 56 व्यक्तियों की नागरिकता की पुष्टि करते ही उन्हें उनके देश वापस भेज दिया जाएगा। हलफनामे में 340 से अधिक कैदियों की स्थिति का विवरण भी दिया गया है जो जेल में हैं या नजरबंदी शिविरों में या फिर उन्हें पाकिस्तान वापस भेजा जा चुका है। हलफनामे में शीर्ष अदालत में पहले पेश किए गए आंकड़ों का भी हवाला दिया गया और कहा गया कि मानसिक रूप से बीमार 21 व्यक्तियों में से 10 को वापस भेजा जा चुका है, 4 की मृत्यु हो गई है और 7 अन्य की राष्ट्रीयता की अभी पुष्टि होनी है।
केंद्र ने कहा है कि पाकिस्तान ने इस तरह की अंतिम सूची एक जुलाई 2017 को दी थी जिसमें 263 पाकिस्तानी कैदियों और 78 पाकिस्तानी मछुआरों का विवरण था। केंद्र ने कहा कि ऐसे 20 कैदियों और 13 पाकिस्तानी मछुआरों को पिछले साल जुलाई से नवंबर के दौरान पाकिस्तान वापस भेजा गया जबकि 167 ऐसे लोगों पर मुकदमा चल रहा है। भारतीय जेलों में बंद विदेशी नागरिकों को वापस उनके देश भेजने के लिए पैंथर पार्टी के नेता भीम सिंह ने यह याचिका दायर कर रखी है।