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50 प्रतिशत ट्रेन टिकट अभी भी खरीदे जाते हैं कैश में, डिजिटल भुगतान में सुधार की है जरूरत

एक अध्ययन के अनुसार देश में 50 प्रतिशत ट्रेन टिकटें अब भी नकदी से खरीदी जाती हैं जिसका एक बड़ा कारण आस-पड़ोस में टिकट एजेंटों की मौजूदगी होना और उनके जरिये आसानी से टिकट मिलने की सुविधा मिलना है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 19, 2017 19:36 IST
Train ticket- India TV Hindi
Train ticket

नई दिल्ली। भारत में आधे से अधिक ट्रेन टिकट अभी भी कैश देकर खरीदे जाते है। इसका प्रमुख कारण है डिस-इनसेंटिव ईकोसिस्‍टम, जो कैश लेनदेन को बढ़ावा देता है। देशभर में ग्राहकों और टिकट बुकिंग एजेंट्स पर किए गए एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है। सर्वे में कहा गया है कि अधिकृत टिकट बुकिंग एजेंट्स के जरिये आरक्षित ट्रेन टिकटों की खरीदी की जाती है, जिनका कुल आरक्षित टिकटों की बिक्री में आधा हिस्‍सा है।

रेलयात्री डॉट इन द्वारा किए गए इस सर्वे में पाया गया है कि भारतीयों के लिए ट्रेन टिकट खरीदने के लिए आस-पड़ोस का टिकट एजेंट अभी भी पसंदीदा विकल्प है। एक अनुमान के मुताबिक इस तरह के लगभग 65,000 लघु व्यावसाय देश भर के हर गली-नुक्कड़ पर स्थित हैं। ट्रेन टिकट की खरीदारी में कई निर्णय शामिल होते हैं और इसलिए यात्री इस काम के लिए अपने भरोसेमंद एजेंट्स के पास जाना पसंद करते हैं।

रेलयात्री डॉट इन के सह-संस्‍थापक और सीईओ मनीष राठी कहते हैं कि भारत में ग्राहकों का एक बड़ा वर्ग प्रबंधित सेवाओं पर निर्भर करता है, खासतौर से तब जब वे बहुत अधिक जरूरतमंद होते हैं और आपूर्ति-मांग में भारी अंतर हो। सर्वे में यह पाया गया कि बड़ी संख्या में एजेंट्स के पास डिजिटल भुगतान स्वीकार करने का साधन मौजूद होता है, बावजूद इसके वे लगभग 100 प्रतिशत टिकटों की बुकिंग कैश में ही करते हैं।

इसका कारण है पेमेंट गेटवे (पीजी) पर 0.7 प्रतिशत का शुल्क (2000 रुपए से कम कीमत की ट्रेन टिकट के लिए), जो इन एजेंट्स के लिए औसत बैंक शुल्क के अनुकूल नहीं है। दूसरा कारण यह है कि कैश लेन-देन करने में कोई परेशानी नहीं होती है। कई एजेंट्स कैश में भुगतान इसलिए लेते हैं क्योंकि इससे उन्हें वास्तविक भुगतान योग्य राशि से अधिक शुल्क वसूलने में कोई परेशानी नहीं होती है।

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