Monday, December 23, 2024
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छत्तीसगढ़ में गायों को कमरे में बंद करने के कारण 43 गायों की मौत

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में पंचायत भवन के एक कमरे में बंद गायों में से 43 की मौत हो गई है। बिलासपुर जिले के कलेक्टर सारांश मित्तर ने शनिवार को यहां बताया कि जिले के तखतपुर विकासखंड के अंतर्गत मेडपार ग्राम पंचायत में गायों की मौत की जानकारी मिली है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : July 25, 2020 20:36 IST
43 cows died after locked in room in Chhattisgarh Bilaspur
Image Source : PTI REPRESENTATIONAL 43 cows died after locked in room in Chhattisgarh Bilaspur  

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में पंचायत भवन के एक कमरे में बंद 45 गायों की मौत हो गई है। बिलासपुर जिले के जिलाधिकारी सारांश मित्तर ने शनिवार को यहां बताया कि जिले के तखतपुर विकासखंड के अंतर्गत मेड़पार ग्राम पंचायत में गायों की मौत की जानकारी मिली है। जिलाधिकारी ने बताया कि जानकारी मिली है कि गांव के पुराने पंचायत भवन में लगभग 60 गायों को बंद कर रखा गया था। जब वहां बदबू फैली तब ग्रामीणों ने इसकी सूचना स्थानीय अधिकारियों को दी। 

अधिकारी ने बताया कि सूचना के बाद स्थानीय अधिकारी और मवेशियों के चिकित्सक वहां पहुंचे तब तक 60 में से 45 गायों की मौत हो चुकी थी। मित्तर ने बताया कि गायों के पोस्टमार्टम से जानकारी मिली है कि गायों की मौत दम घुटने से हुई है। 15 गायों की हालत स्थिर है। पोस्टमार्टम के बाद मृत गायों को दफना दिया गया है। 

मित्तर ने बताया कि जिला प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए पशु क्रूरता अधिनियम की धारा 13 तथा आईपीसी की धारा 429 के तहत अपराध दर्ज कराया है। इसके अलावा अतिरिक्त जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है। इसमें जो लोग भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। 

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मेड़पार गांव में गायों की मृत्यु की घटना को गंभीरता से लिया है। उन्होंने बिलासपुर के जिलाधिकारी को इस घटना के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बघेल ने कहा कि यह दुर्भाग्यजनक घटना है। इधर राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि सरकार गौधन को लेकर हवा हवाई बातें कर रही है। 

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि मवेशियों की मौत के इस ताज़े मामले से यह स्पष्ट हो गया है कि नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी का नारा देने और गौ-धन न्याय योजना का ढोल पीटने वाली प्रदेश की कांग्रेस सरकार गौठानों की कोई पुख्‍ता इंतज़ाम तक नहीं कर पा रही है। गौ-धन की मौतों का यह सिलसिला राज्य सरकार के लिए महंगा पड़ेगा। 

साय ने कहा है कि गौ-वंश की रक्षा न कर पाना राज्य सरकार के कृषि-विरोधी चरित्र का परिचायक है। कुल मिलाकर, ‘रोका-छेका’ और गौ-धन न्याय योजना की सियासी नौटंकी खेलकर मुख्यमंत्री अपने दोहरे राजनीतिक चरित्र का प्रदर्शन कर रहे हैं और गौ-धन की रक्षा के नाम पर सिर्फ़ हवा-हवाई बातें कर रहे है। 

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