नई दिल्ली: भारत के 42 धरोहर स्थल काफी लंबे समय से यूनेस्को की ‘धरोहर सूची’ में शामिल किए जाने का इंतजार कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अब सरकार यूनेस्को के मापदंडों सहित इन धरोहरों का तुलनात्मक अध्ययन करायेगी ताकि इन्हें जल्द वैश्विक सूची में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो सके। इन धरोहर स्थलों को यूनेस्को की ‘संभावित धरोहरों की सूची’ में तो शामिल किया गया है लेकिन पूर्ण रूप से वैश्विक धरोहर के रूप में मान्यता अभी तक नहीं मिली है।
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन :यूनेस्को: के भारत में संभावित धरोहरों की सूची में पश्चिम बंगाल का विष्णुपुर मंदिर, केरल के कोच्चि स्थित मात्तानचेरी पैलेस, मध्य प्रदेश के मांडू स्थित ग्रुप ऑफ मॉन्यूमेंट और उत्तर प्रदेश के वाराणसी के सारनाथ स्थित प्रचीन बौद्ध स्थल साल 1998 से यूनेस्को की संभावित विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं। हालांकि, अब तक पूर्ण रूप से विश्व धरोहर की मान्यता नहीं मिली है।
यूनेस्को के विश्व धरोहर की संभावित सूची के बारे में पूछे जाने पर संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि यह सही है कि यूनेस्को की संभावित या अस्थायी धरोहरों की सूची में करीब 50 धरोहर हैं। ये यूनेस्को के मानदंडों को पूरा करते हैं। हमने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से कहा है कि इन मानदंडों के तहत इन स्थलों का तुलनात्मक अध्ययन करे। उन्होंने कहा कि हमें अपने धरोहर स्थलों का विकास करना है ताकि एक तरफ पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और दूसरी तरफ दुनिया हमारी समृद्ध संस्कृति से रूबरू हो सके।
पटेल ने कहा कि धरोहर स्थल संभावित सूची में शामिल होने के एक साल बाद ही स्थायी सूची में शामिल होने के पात्र बनते हैं और इस दृष्टि से हम अपनी धरोहरों पर काम करने जा रहे हैं। यूनेस्को के संभावित धरोहरों की सूची में भारतीय धरोहरों में पंजाब के अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब और असम में ब्रह्मपुत्र नदी की मुख्यधारा से लगे माजुली द्वीप साल 2004 से ही शामिल है ।
वहीं, नामदाफा राष्ट्रीय उद्यान और लिटिल रन आफ कच्छ का वाइल्ड एस सैंचुरी साल 2006 से संभावित सूची में तथा नेउरा वैली नेशनल पार्क और डेजर्ट नेशनल पार्क साल 2009 से यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल है। सिल्क रोड साइट्स इन इंडिया, शांति निकेतन, चारमिनार, कुतुबशाही मकबरा, गोलकोंडा किला और कश्मीर का मुगल गार्डन 2010 से यूनेस्को की संभावित धरोहरों में शामिल है। दिल्ली हेरिटेज सिटी साल 2012 से संभावित विश्व धरोहर में शामिल है।
साल 2014 में यूनेस्को की संभावित धरोहरों की सूची में दक्कन सल्तनत के किले और धरोहर, अंडमान द्वीप के सेल्यूलर जेल, ककातिया मंदिर और गेटवे, भारत के बुनाई केंद्र से जुड़े विख्यात साड़ी, धौलावीरा हड़प्पा शहर, अपतांज सांस्कृति दृश्यस्थली, श्रीरंगम स्थित श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर, चिल्का झील, पद्मनाभपुरम मंदिर, होयसाला से जुड़े पवित्र स्थल, भारत में अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े सत्याग्रह स्थल, थेमबांग किलेबंद गांव, नार्कोडाम द्वीप, अहोम राजवंश से जुड़े मोइडाम स्थल, भुवनेश्वर स्थित इकाम्रा क्षेत्र, बुर्जहोम, लोथल, हड़प्पा स्थल, भारत के पर्वतीय रेलवे का विस्तार, चेट्टीनाड ग्रामीण क्षेत्र, दिल्ली का बहाई पूजा स्थल शामिल हैं ।
साल 2015 में एहोल बादामी स्थल, कोल्ड डेजर्ट, उत्तरापथ से लगी बादशाही सड़क, सड़क ए आजम, ग्रैंड ट्रंक रोड को यूनेस्को के संभावित धरोहरों की सूची में शामिल किया गया था। वहीं, केईबुल लामजाव संरक्षित स्थल को साल 2016 में, गारो हिल्स संरक्षित क्षेत्र को साल 2018 में तथा ओरछा के ऐतिहासिक स्थल को संभावित धरोहर स्थल में शामिल किया गया था । गौरतलब है कि भारत के 38 धरोहर स्थल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया जा चुका है।