नई दिल्ली। देश में PET बोतल्स का कारोबार करीब 4,000 करोड़ का हो गया है। हाल ही मे सरकार ने एक रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी है जिसमें बताया गया कि PET बोतल्स से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है। लेकिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति संस्थान द्वारा प्लास्टिक के मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर कई तरह के शोध कराए गए हैं। जिसमें पुष्टि होती है कि पॉलिथीन, PET बोतल , टेट्रा पैक पैकेजिंग में मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हानिकारक रसायनों की लीचिंग, कैंसर-जनक , जिनोटोक्सिक, साइटोटोक्सिक जैसे नुकसानदायक कैमिकल पाए गए हैं। जो स्वास्थय और पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदाक है।
3 महीने की रिसर्च ने की पुष्टि
करीब 3 महीने की रिसर्च से साबित हो गया है कि प्लास्टिक से निर्मित पदार्थ जैसे पॉलिथीन, PET बोतल, टेट्रा पैक पैकेजिंग में स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए हानिकारक रसायनों के लीचिंग की पुष्टि पायी गयी । इस रिसर्च को देश तीन प्रमुख परीक्षणशालाओ में कराया गया है। वहीं अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान एजेंसी (आईएआरसी) ने भी माना है कि प्लास्टिक में कई तरह के ऐसे हानिकारक तत्व पाए गए हैं। जो मनुष्यों और पशुओं के स्वास्थय पर सीधा असर डाल रहे हैं।
प्लास्टिक के खतरे से लोगों को जागरुक कराना लक्ष्य
देश के लोगों को प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जागरुक करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय संस्थान ने दिल्ली में एक राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन किया। जिसमें पंडित दीनदयाल संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एंवम दीनदयाल के भतीजे विनोद शुक्ला ने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है की प्लास्टिक के दुष्प्रभावों को जानते हुए भी हम मानवता और पर्यावरण के लिए उभरते इस गम्भीर खतरे से निपटने के लिए तत्पर नहीं है और दिन प्रति दिन प्लास्टिक से बने पदार्थो का जैसे पॉलिथीन, PET बोतल, टेट्रा पैक पैकेजिंग का खाद्य, पेय और दवाइयों के भडारण तथा संग्रहण में उपयोग बढ़ चढ़कर कर रहे है। इस सम्मेलन में विनोद शुक्ला के अलावा एशिया अस्पताल के ऑन्कोलॉजी के चिकित्सा निदेशक डॉ प्रवीण बंसल, मुंबई की शोधकर्ता एवं वैज्ञानिक तरुणा सिंह ने भी प्लास्टिक के दुष्प्रभावों की वैज्ञानिक पुष्टि की।