नई दिल्ली: चार महिलाओं ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करके पिछले साल सितंबर में सबरीमाला मंदिर के संबंध में आए ऐतिहासिक फैसले के समर्थन में पक्षकार के रूप में हस्तक्षेप का अनुरोध किया। इस फैसले में केरल के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 वर्ष तक की प्रतिबंधित आयुवर्ग की महिलाओं को भी प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
शीर्ष अदालत बुधवार से इस फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। केरल की महिलाओं रेशमा सी वी, शांतिला, बिंदू ए और कनकदुर्गा ने आवेदन दायर करके हस्तक्षेपकर्ता के रूप में सुने जाने का अनुरोध किया। वे फैसले का समर्थन कर रही हैं। पिछले साल 28 सितंबर के फैसले के खिलाफ और समर्थन में हिंसक प्रदर्शनों के बाद फैसले के पुनर्विचार की मांग को लेकर करीब 48 याचिकाएं दायर हुई हैं।
इनमें से बिंदु और कनकदुर्गा (क्रमश: 44 और 42) सबसे पहले इस मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाएं हैं। शीर्ष अदालत ने ऐतिहासिक फैसले में 10 से 50 वर्ष आयुवर्ग की रजस्वला की उम्र वाली लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी हटा दी थी।