कोलकाता: पश्चिम बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले के बदुरिया इलाके में बुधवार को प्रदर्शन कर रहे स्थानीय लोगों के साथ झड़प में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। स्थानीय लोगों का आरोप था कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें राहत सामग्री नहीं दी जा रही है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने दावा किया कि इस घटना से पश्चिम बंगाल की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुर्दशा सामने आ गई है। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार का इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों में कई संगठन अपने आप ही जरूरी चीजें वितरित करते हैं।
दरअसल, बदुरिया में दासपाड़ा के निवासी सुबह से ही राहत सामग्री के सवाल पर विरोध कर रहे थे। उन्होंने पास की एक सड़क को जाम कर दिया था। अधिकारियों ने बताया कि दोपहर में पुलिस का एक दल मौके पर पहुंचा और उसने प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से अपने घरों को लौटने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि उन्हें आवश्यक वस्तुओं का वितरण किया जाएगा। इसके बाद भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा तो पुलिस ने बल प्रयोग किया।
अधिकारियों के अनुसार इसके बाद स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़प शुरू हो गयी और स्थानीय लोगों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया। उन्होंने बताया कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। इस घटना में 3 पुलिसकर्मी और कुछ स्थानीय लोग घायल हुए हैं। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक ने कहा कि एक स्थानीय पार्षद ने इलाके के लोगों से कहा कि उन्हें अतिरिक्त राहत सामग्री प्रदान की जाएगी। इसके बाद यह घटना हुयी।
उन्होंने कहा, ‘जब मुझे इस घटना के बारे में पता चला तो मैंने इसके बारे में पता किया और पाया कि क्षेत्र के सभी परिवारों को राज्य सरकार द्वारा मुफ्त राशन दिया जा रहा है। गड़बड़ी तब शुरू हुयी जब स्थानीय पार्षद ने व्यक्तिगत रूप से कुछ राहत सामग्री देने का वादा किया लेकिन वह सभी परिवारों को राहत सामग्री प्रदान करने में विफल रहे।’ मंत्री तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रखंड विकास अधिकारी से कहा है कि वह विरोध कर रहे लोगों को राहत सामग्री प्रदान करें।