नई दिल्ली: पूर्व दूरसंचार मंत्री राजा, डीएमके की राज्यसभा सदस्य कनिमोझी और अन्य के खिलाफ 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की सुनवाई यहां एक स्थानीय अदालत ने बुधवार को सात नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी. सैनी ने यह कहते हुए इस मामले की सुनवाई स्थगित कर दी कि मामले में दायर दस्तावेज बहुत ज्यादा हैं, और वे तकनीकी प्रकृति के हैं, जिन्हें देखा जाने की प्रक्रिया अभी भी जारी है।
उन्होंने कहा कि इस काम में पर्याप्त समय लग सकता है और उन्होंने मामले की सुनवाई सात नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया। अदालत ने कहा कि सुनवाई के लिए तय की गई अगली तारीख को फैसले की तारीख तय की जा सकती है।
अदालत ने सभी अभियुक्तों को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित रहने के लिए कहा और यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा और बॉलीवुड निर्माता करीम मोरानी के खिलाफ पेशी वारंट भी जारी किया।
अदालत 2जी स्पेक्ट्रम मामलों से संबंधित दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई कर रही थी। एक की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रहा है और दूसरे की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। 26 अप्रैल को अदालत में इस मामले में अंतिम बहस हुई थी।
सीबीआई के अनुसार, राजा ने 2जी मोबाइल तरंगों और दूरसंचार कंपनियों के ऑपरेटिंग लाइसेंस आवंटित करने में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया था, जिसके कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
सीबीआई के आरोप-पत्र में कहा गया है कि डीबी ग्रुप से 200 करोड़ रुपये कलैगनार टीवी को स्थानांतरित किए गए थे, जोकि स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के बदले रिश्वत के रूप में थे।
प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन के मामले से संबंधित एक अन्य मामला दर्ज किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि राजा, कनिमोझी और डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि की पत्नी दयालु अम्माल और अन्य ने साजिश रची और 200 करोड़ रुपये का घोटाला किया। राजा समेत सभी अभियुक्त फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।