मुंबई: 2008 मालेगांव धमाके मामले में एनआईए अदालत मे आज कहा मकि वह आरोपियों के खिलाफ लगाए गए अभियोजन पक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों और प्रतिबंधों की वैधता पर सुनवाई करेगा। 10 सितंबर को एनआईए इस पर फैसला करेगा। मुंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने से एक निचली अदालत को रोकने से इंकार किया। न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मृदुला भटकर की पीठ ने हालांकि निचली अदालत (विशेष एनआईए अदालत) को पुरोहित द्वारा उठाए गए अभियोजन की ‘मंजूरी’ के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के पिछले आदेश के अनुरूप विचार करने का निर्देश दिया। (माजेरहाट पुल दुर्घटना: फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी )
पुरोहित ने 27 अगस्त को दायर अपनी याचिका में 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में अपने कथित अपहरण, गैरकानूनी नजरबंदी और यातनायें दिये जाने के आरोपों की न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से जांच कराने का अनुरोध किया था। इसके अलावा, पुरोहित ने महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते के अधिकारियों द्वारा उनकी गैरकानूनी नजरबंदी और फिर उन्हें यातनायें दिये जाने के मामले में समुचित मुआवजा दिलाने का भी अनुरोध किया था।
उन्होंने कहा कि इस बारे में सभी प्राधिकारियों के पास अनेक शिकायतें की गयी और उनसे इनका समाधान करने का अनुरोध किया गया। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि मामले की सुनवाई शीघ्र गति से हो और इसलिए रोक लगाना उचित नहीं होगा। अत: निचली अदालत शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार अभियोजन की मंजूरी के मुद्दे पर विचार करे और फिर इस मामले में आगे बढे।