नई दिल्ली। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि तीनों रक्षा बलों में कुल 9118 महिलाएं अधिकारी के रूप में सेवा दे रही हैं जबकि सैन्य पुलिस की वाहिनी में 1700 महिलाओं को जवानों के रूप में शामलि करने की मंजूरी दे दी गई है। इससे सशस्त्र बल और मजबूत होगा। भारतीय सेना में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी से वो और सशक्त होंगी और दूसरों के लिए मिसाल कायम करेंगी।
महिलाओं को सिपाही पद पर भर्ती देने वाली पहली सेना
रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि महिला अधिकारियों की संख्या सबसे ज्यादा नौसेना में है। भारतीय नौसेना में 704 महिला अधिकारी हैं, जिनकी संख्या 6.5 प्रतिशत है। मंत्री ने बताया कि भारतीय सेना में 6,807 महिलाएं है जो पुरुषों की संख्या 12,18,036 का 0.56 प्रतिशत है। वहीं भारतीय वायु सेना (IAF) में 1,46,727 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 1607 है, जो करीब 1.08 प्रतिशत है। नाइक ने यह भी कहा कि भारतीय सेना तीनों रक्षा बलों में सबसे बड़ी है और इसमें अधिकारियों के रूप में सेवा देने वाली महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है और अब महिलाओं को सिपाही के पद पर भर्ती होने की अनुमति देने वाली पहली सेना है।
सैन्य स्थिति और मजबूत बनेगी
सरकार ने कहा कि वर्ष 2019 के आंकड़ों की तुलना में वर्ष 2020 के दौरान सशस्त्र बलों (चिकित्सा, दंत चिकित्सा और नर्सिंग संवर्ग को छोड़कर) में सभी में महिला कर्मियों की संख्या में वृद्धि हुई है। न्यायाधीश महाधिवक्ता और सेना शिक्षा कोर में महिला अधिकारियों को स्थायी आयोग के प्रावधान के अलावा, भारत सरकार ने हाल ही में अन्य सभी शस्त्र/सेवाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी आयोग देने की घोषणा की है, जिसमें वे आयोग के लिए पात्र हैं। इसके अलावा सरकार ने सैन्य पुलिस कोर में 1,700 महिलाओं की भर्ती को चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दी है। इससे सैन्य स्थिति और मजबूत बनेगी।
भारतीय नौसेना में 1992 से हैं महिलाएं
भारतीय वायु सेना महिलाओं को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करने के विभिन्न प्रेरण प्रचार उपाय कर रही है। प्रत्यक्ष संपर्क कार्यक्रम, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे मॉड्यूल का उपयोग बड़े पैमाने पर IAF के बारे में जागरूकता पैदा करने और विभिन्न प्रकार की प्रविष्टियों के बारे में छात्रों को शिक्षित करने के लिए किया जा रहा है। महिलाएं 1992 से भारतीय नौसेना में अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं, जिसमें केवल तीन रास्ते ही महिलाओं के लिए उपलब्ध थे- कानून, शिक्षा और रसद। हालांकि, समय के साथ, महिलाओं के प्रेरण के लिए कई अन्य रास्ते खोले गए हैं।
(इनपुट- ANI)