Monday, December 23, 2024
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16 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति कोविंद के संबोधन का बहिष्कार करने का लिया फैसला, संसद का बजट सत्र रहेगा हंगामेदार

नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर 16 राजनीतिक दलों ने 29 जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated : January 28, 2021 23:16 IST
Latest News 16 Opposition parties to boycott President’s Budget Session address Farm laws latest new
Image Source : FILE PHOTO Latest News 16 Opposition parties to boycott President’s Budget Session address Farm laws latest news । 16 राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन का बहिष्कार करने का लिया फैसला

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर 16 राजनीतिक दलों ने 29 जनवरी को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के संबोधन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।संसद के शुक्रवार (29 जनवरी) से शुरू हो रहे बजट सत्र का हंगामेदार होना तय माना जा रहा है, क्योंकि विपक्षी दलों ने तीन नये कृषि कानूनों पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है। बजट सत्र की शुरूआत शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ होगी और 1 फरवरी (सोमवार) को बजट पेश किया जायेगा।

कांग्रेस समेत देश के 16 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार का फैसला किया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने यह जानकारी दी। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को कहा, "बहिष्कार का एकमात्र मुद्दा कृषि कानून हैं और 16 दलों ने संयुक्त रूप से संबोधन का बहिष्कार करने का फैसला किया है।" 

पेश की जाएगी आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट

इस साल 29 जनवरी (शुक्रवार) को मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में तैयार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकनॉमिक अफेयर्स की इकनॉमिक्स डिवीजन, आर्थिक सर्वे तैयार करती है और ये सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार होता है। बता दें कि आर्थिक सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था की सालाना आधिकारिक रिपोर्ट होती है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।

कृषि कानूनों को लेकर हो सकता है हंगामा

संयुक्त बयान में कहा गया है, "भारत के किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सामूहिक रूप से लड़ रहे हैं, जो भाजपा सरकार द्वारा मनमाने ढंग से लागू किए गए हैं। यह भारतीय कृषि के भविष्य के लिए खतरा हैं, जो भारत की 60 प्रतिशत आबादी और करोड़ों किसानों, शेयरक्रॉपर (साझेदारी में खेती करने वाला) और कृषि श्रमिकों की आजीविका है।" बयान में यह भी कहा गया है, "लाखों किसान अपने अधिकारों और न्याय के लिए पिछले 64 दिनों से ठंड और भारी बारिश का सामना करते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के द्वार पर आंदोलन कर रहे हैं। 155 से अधिक किसानों ने अपनी जान गंवाई है। सरकार अड़ी हुई है और उसने पानी की बौछारों, आंसू गैस और लाठीचार्ज के साथ जवाब दिया है।" इसमें कहा गया है, "सरकार ने प्रायोजित गलत सूचनाओं के अभियान के माध्यम से एक वैध जन आंदोलन को बदनाम करने का हर संभव प्रयास किया गया है। विरोध और आंदोलन काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है।"

गणतंत्र दिवस हिंसा पर निष्पक्ष जांच की मांग 

16 विपक्षी दलों ने दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन कृषि कानूनों को लेकर हुई हिंसा की जांच कराने की भी मांग की है। बयान में यह भी कहा गया है कि दुर्भाग्य से, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी 2021 को हिंसा की कुछ घटनाएं हुई हैं, जिसकी निंदा की गई है। बयान में कहा गया है, "हम दिल्ली पुलिस के जवानों को कठिन परिस्थितियों को संभालने के दौरान लगी चोटों पर भी दुख व्यक्त करते हैं। लेकिन हम मानते हैं कि निष्पक्ष जांच से उन घटनाओं में केंद्र सरकार की नापाक भूमिका का पता चलेगा। तीन कृषि कानून राज्यों के अधिकारों पर हमला है और संविधान की संघीय भावना का उल्लंघन करते हैं।" यह भी कहा गया है कि अगर इन कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता है, तो ये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को प्रभावी ढंग से समाप्त कर देंगे जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), सरकारी खरीद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) पर टिकी हुई है। संयुक्त बयान में कहा गया है, "कृषि विधेयकों को राज्यों और किसान यूनियनों के साथ बिना किसी परामर्श के लाया गया और इसमें राष्ट्रीय सहमति का अभाव है।"

कृषि कानूनों को अलोकतांत्रिक करार दिया 

कृषि कानूनों को अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा गया है कि इन कानूनों की संवैधानिक वैधता सवालों के घेरे में बनी हुई है और प्रधानमंत्री व भाजपा सरकार अपनी प्रतिक्रिया में अभिमानी, अड़े हुए और अलोकतांत्रिक नजर आ रहे हैं। इन चीजों को ध्यान में रखते हुए किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ भारतीय किसानों के साथ एकजुटता में 29 जनवरी, 2021 शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया गया है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करेंगे ये 16 विपक्षी दल

अभिभाषण का बहिष्कार करने वाले विपक्षी दलों में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्‍सवादी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), आरएसपी, केरल कांग्रेस-एम, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक), जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस (जेकेएनसी), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), समाजवादी पार्टी (सपा), शिवसेना, केरल कांग्रेस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) शामिल हैं।

डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे दस्तावेज

वहीं, लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि इस बार बजट 2021 की प्रति, दस्तावेज और आर्थिक सर्वेक्षण सदन के पटल पर रखे जाने के बाद आनलाइन/डिजिटल माध्यम से उपलब्ध कराए जाएंगे और कागज की प्रतियां उपलब्ध नहीं होगी। पिछली बार मानसून सत्र की तरह ही इस सत्र में भी कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा और लोकसभा एवं राज्यसभा की कार्यवाही पांच-पांच घंटे की पालियों में संचालित होगी। राज्यसभा की कार्यवाही सुबह की पाली में और लोकसभा की कार्यवाही शाम की पाली में चलेगी। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया जा सका था। बजट सत्र में प्रश्नकाल आयोजित होगा। समय की कमी के कारण पिछले सत्र में प्रश्नकाल नहीं हो सका। मानसून सत्र में दोनों सदनों की बैठक शनिवार और रविवार को भी हुई थी। लेकिन इन बार संसद की बैठक सप्ताहांत में नहीं होगी। 

बजट का दूसरा सत्र 8 मार्च से होगा शुरू

लोकसभा सचिवालय के अनुसार, इस बार बजट सत्र में शुक्रवार को होने वाला गैर सरकारी कामकाज भी होगा। मानसून सत्र में गैर सरकारी कामकाज नहीं लिया जा सका था। सत्र के दौरान सरकार दो अध्यादेशों को कानून के रूप में पारित कराने का प्रयास भी करेगी। किसी अध्यादेश को सत्र शुरू होने के 42 दिनों के भीतर कानून के रूप में परिवर्तित कराना होता है अन्यथा इसकी मियाद समाप्त हो जाती है। हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2020, मध्यस्थता एवं सुलह संशोधन अध्यादेश 2020 तथा जम्मू कश्मीर पुनर्गठन संशोधन अध्यादेश 2021 जारी किया गया था। उल्लेखनीय है कि संसद के बजट सत्र का पहला हिस्सा 15 फरवरी को समाप्त होगा वहीं बजट का दूसरा हिस्सा 8 मार्च से शुरू होकर 8 अप्रैल 2021 तक चलेगा। 

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