रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 64 किलोमीटर दूर किरवई में अंग्रेजों के जमाने का मवेशी बाजार है। यह बाजार 150 साल पुराना है। यहां आज भी दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग रविवार को मवेशी खरीदने व बेचने आते हैं।
एक जमाने में किरवई मवेशी बाजार में हाथी, घोड़ा, गधा, बकरी से लेकर कृषि कार्य में काम आने वाले बैल, भैंस व गाय आदि की खरीद-बिक्री होती थी। आज भी इस बाजार का बड़ा महत्व है। यहां के बाजार में बलौदाबाजार, भाटापारा, बिलासपुर, मुंगेली, बेमेतरा, कवर्धा आदि जिले के किसान बड़ी संख्या में मवेशी खरीदने व बेचने आते हैं।
किरवई सरपंच पुष्पा साहू ने बताया कि मवेशी बाजार में तीन सौ किलोमीटर दायरे में आने वाले जिलों के किसान अपनी आवश्यकता अनुसार गाय, बैल, भैंस व बछड़ों की खरीदी व बिक्री करते हैं। दूर के किसान एक दो दिन पहले मवेशी लेकर इस बाजार के लिए निकलते हैं तथा रविवार को मवेशी बेचकर वापस जाते हैं।
हर रविवार को लगने वाले किरवई मवेशी बाजार का अपना इतिहास है। अंग्रेजों के समय शुरू हुए इस मवेशी बाजार को 150 साल हो गए हैं। अंग्रेजों के जमाने में किरवई बाजार में लोग हाथी, घोड़ा, गधा, बकरा, गाय, बैल, भैंस, बछड़ा आदि खरीदने व बेचने आते थे। इस बात का प्रमाण पंचायत का मूल्य पत्रक सूची में दर्ज है।
ठेकेदार ओमप्रकाश थवाइत ने बताया कि बाजार-शुल्क बैल जोड़ी 120 रुपये, भैंसा जोड़ी 100 रुपये, बछड़ा जोड़ी का 80 रुपये लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि उस जमाने में इस बाजार में बड़ी संख्या में मवेशियों की खरीदी व बिक्री हुआ करती थी। पशु तस्करी के चलते पुलिस एवं गौसेवकों द्वारा मवेशी बेचने बाजार आने वालों से कड़ी पूछताछ किए जाने के कारण किरवई के मवेशी बाजार प्रभावित हुआ है।
मवेशी व्यापारी श्यामलाल देवांगन (किरवई), शंकर सतनामी (सेमराडीह), सतीश सतनाम, बबला सतनामी (दामापुर) ने बताया कि इतने पुराने मवेशी बाजार में रात को विश्राम करने के लिए विश्रामगृह नहीं है। इससे दूर दूर से मवेशी बेचने वालों को यहां गर्मी, बरसात व ठंड में दिन या रात गुजारने में परेशानी होती है।
उन्होंने कहा कि यहां एक रैनबसेरा बन जाए तो मवेशी बेचने आने वालों को सुविधा होगी। किरवई की सरपंच पुष्पा साहू ने कहा कि यहां रैनबसेरा व शौचालय बनाने की जरूरत है। इसके लिए प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजा जाएगा।
ग्रामीणों का कहना है कि मवेशी लेकर पैदल आने वालों को कुछ हिंदू संगठन गौ-तस्कर समझ लेते हैं और उन्हें रोककर बेवजह परेशान करते हैं। कुछ लोग अवैध वसूली भी करते हैं, जबकि मवेशी खरीदी की पंचायत द्वारा दी गई रसीद पास में रहती है।
इस समय किरवई मवेशी बाजार में हर रविवार को पांच सौ मवेशियों की आवक होती है। उनमें से 150 जोड़ी ही बिकते हैं। सीजन में हजार जोड़ी से ज्यादा मवेशी आते हैं।