नई दिल्ली: हरियाणा के सिरसा में एक सीट कवर बेचने वाला शख्स एक ही झटके में करोड़पति बन गया है। दावा ये है कि घर में सफाई के दौरान अचानक उसे अपने नाना का दिया हुआ एक सिक्का मिला। सिक्के में उर्दू से कुछ लिखा था। जब उसने पड़ोस के मौलवी को सिक्का दिखाया तो वो दंग रह गया। इस सिक्के के बारे में कई दावे किए जा रहे हैं। कोई कह रहा है कि ये 1400 साल पुराना सिक्का है। तो कोई इसे सन 1450 का बता रहा है। इनटरनेट पर सामान बेचने वाली वेबसाइट्स पर इसकी कीमत तीन करोड़ रुपये बताई जा रही है। दावा ये भी है कि ये सिक्का इस्लाम के पवित्र शहर मदीना का है। ये भी पढ़ें: दुनिया दहलाने वाली भविष्यवाणी, पाकिस्तान-चीन मिलकर करेंगे भारत पर हमला
दरअसल यह सिक्का डबवाली के रहनेवाले गौरी शंकर को मिला। गौरी शंकर सीट कवर बनाने की छोटी सी दुकान चलाता है। माली हालात ऐसे है कि परिवार चलाने के लिए घर के पुराने सामान बेचने को मजबूर है। रविवार को जब वह घर में पुराना सामान खोज रहा था तो पुराने संदूक में से एक पुराना सिक्का मिला। सिक्के को अच्छी तरह से साफ किया तो उस पर उर्दू भाषा में कुछ लिखा था। गौरीशंकर ने जब उस सिक्के के बारे में लोगों से बात करनी शुरू की तो जो भी जानकारी उसे मिली उससे वह दंग रह गया। उसे अहसास हो गया था कि जो सिक्का उसके हाथ लगा है वह बेशकीमती है। उसने ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से संपर्क किया। जहां इस सिक्के की पड़ताल के बाद इसकी कीमत 3 करोड़ रुपए रखी गई है। क्योंकि जांच में पता चला कि सिक्का 1450 का इस्लामिक सिक्का है। उसने सिक्के को बैंक के लॉकर में रख दिया है।अब पता ये चला है कि बांग्लादेश में दो और पाकिस्तान में एक सिक्के की बोली लगाई गई है। अब गौरी शंकर मदीने वाले इस्लामिक सिक्के को साढ़े तीन करोड़ रुपये में बेचना चाहता है।
इंडिया टीवी ने जब इसकी पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आई। हमने इंटरनेट खंगाला तो हमें इसी तरह के कई सिक्के के बारे में पता चला। बांग्लादेश पाकिस्तान और हिंदुस्तान में कई लोगों के पास ये सिक्का है। इस सिक्के पर हम जीतना रिसर्च करते गए, नई नई जानकारियां मिलती गई। सिक्के पर जो मदीने की पवित्र मस्जिद की तस्वीर में उकेरी गई है उस पर गुंबद है। हमने जब इसके बारे में पता किया तो पता चला कि ये गुंबद 19वीं शताब्दी में लगाई गई। मतलब ये सिक्का 1400 साल पुराना नहीं है, बल्कि 19वी शताब्दी का हो सकता है।
इंडिया टीवी की तहकीकात में एक बात और सामने आई। सिक्कों को जमा करने वालों ने बताया कि ये सिक्का न तो 1400 साल पुराना है, न ही ये 450 सौ साल पुराना है। दरअसल, ये सिक्का ही नहीं बल्कि ये एक टोकन है जिसे 1840 के बाद कोलकाता में बनाया गया था। ये एक बहुत आम टोकन है। इस डिजाइन का टोकन चांदी और तांबे में बाजार में उपलब्ध है।