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12 फीसदी, 18 फीसदी जीएसटी दरों की जगह नया स्लैब संभव : सुशील मोदी

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शुक्रवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद 12 और 18 फीसदी दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावनाओं की जांच करेगी, जो कि राजस्व में बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 08, 2017 23:37 IST
Sushil Modi
Sushil Modi

कोलकाता: बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शुक्रवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद 12 और 18 फीसदी दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावनाओं की जांच करेगी, जो कि राजस्व में बढ़ोतरी पर निर्भर करेगा। जीएसटी परिषद के सदस्य मोदी ने यह भी कहा कि सामानों के ऊपर लगाए जानेवाले मूल्य टैग में सभी करों समेत मूल्य लिखा होना चाहिए। उन्होंने कहा, "जीएसटी परिषद 12 फीसदी और 18 फीसदी कर दरों को एक नए स्लैब में विलय करने की संभावना पर चर्चा करेगी। यह दर इन दोनों के बीच की एक दर हो सकती है। वहीं फिलहाल 50 वस्तुओं को 28 फीसदी के कर दायरे में रखा गया है, जिसमें से कई वस्तुओं को इससे निकाला जा सकता है।"

उन्होंने यहां भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित परस्पर संवाद सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "इन सब को राजस्व स्थिर हो जाने के बाद लागू किया जा सकता है और यह कर में उछाल आने पर निर्भर करता है।" उन्होंने कहा कि परिषद ने 178 सामानों पर कर की दरों को घटाकर कर से जुड़े 90 फीसदी मुद्दों का समाधान कर दिया है। 

उन्होंने कहा, "मैंने जीएसटी परिषद को सुझाव दिया है कि वस्तुओं पर अंतिम कीमत सभी करों को मिलाकर दर्ज किया जाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि परिषद इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देगी।"उन्होंने कहा कि जीएसटी शासन में स्थिरता आने के बाद केंद्र और राज्य दोनों के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। 

मोदी ने कहा कि परिषद पेट्रोलियम उत्पादों, बिजली शुल्क और संपत्ति स्टैंप ड्यूटी को भी जीएसटी के तहत लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने यह बात स्वीकार की कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) और वस्त्र क्षेत्र को जीएसटी शासन के शुरुआती दिनों में सबसे ज्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि इन्हें पहले भी वैट के अंतर्गत कर में छूट दी गई थी। उन्होंने कहा कि परिषद उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करेगी। 

जीएसटीएन प्रणाली के धीमा होने और डीलरों द्वारा रिटर्न दाखिल करना मुश्किल होने के आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, "शुरुआती समस्याओं के बावजूद, जीएसटी नेटवर्क से जुड़ी समस्याएं कम हो रही हैं। अगर नेटवर्क धीमा चलता तो रोजाना 13 लाख रिटर्न दाखिल करना संभव नहीं होता।" उन्होंने कहा कि जीएसटी नेटवर्क की प्रणाली को देखने के लिए बनी मंत्रियों की समिति की आईटी कंपनी इंफोसिस के साथ 16 दिसंबर को बैठक होगी। इंफोसिस ने जीएसटीएन प्लेटफार्म विकसित किया है तथा वह इसमें और सुधार कर रही है। 

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