नयी दिल्ली। भारत में कोविड-19 के मामलों में तीव्र वृद्धि के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि देश में सार्स सीओवी-2 के चिंताजनक स्वरूपों से अब तक कुल 1189 नमूने संक्रमित मिले हैं। मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 1109 नमूने ब्रिटिश स्वरूप से संक्रमित पाए गए हैं जबकि 79 नमूने दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप से और एक नमूना ब्राजीलियाई स्वरूप से संक्रमित मिला है। उसने कहा कि 15 अप्रैल तक 13614 नमूनों को संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (डब्ल्यूजीएस) के लिये 10 नामित आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं में संसाधित किये गए।
'कोरोना वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है'
मंत्रालय ने कहा, “इनमें से 1189 नमूने भारत में सार्स सीओवी-2 के चिंताजनक स्वरूपों से संक्रमित पाए गए। इनमें ब्रिटिश स्वरूप के 1109 नमूने, दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के 79 नमूने और ब्राजीलियाई स्वरूप का एक नमूना शामिल है।” भारतीय सार्स सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) पूर्ण जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से भारत में सार्स कोविड-2 के जीनोम में बदलावों की निरंतर निगरानी के लिये दिसंबर 2020 में बनाया गया 10 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है। कोरोना वायरस अपना स्वरूप बदल रहा है और कई देशों में उसके विभिन्न स्वरूप मिले हैं जिनमें ब्रिटेन में 17, ब्राजील में 17 और दक्षिण अफ्रीका में मिले 12 स्वरूप शामिल हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “इन स्वरूपों की फैलने की क्षमता काफी ज्यादा है। ब्रिटिश स्वरूप व्यापक रूप से ब्रिटेन, समूचे यूरोप में पाया गया और एशिया तथा अमेरिका में भी फैल गया है।” इसमें कहा गया, “दोहरा उत्परिवर्तन (2 म्यूटेशंस) एक अन्य स्वरूप है और यह ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी, आयरलैंड, नामीबिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों में पाया गया है। इस स्वरूप के ज्यादा फैलने की क्षमता अब तक स्थापित नहीं हुई है।”
इसमें कहा गया कि भारत में संक्रमण का पता लगाने के लिये की जा रही आरटी-पीसीआर जांच से ये स्वरूप बच नहीं सकते क्योंकि इस जांच में दो से ज्यादा जीन को लक्षित किया जाता है। बयान के मुताबिक आरटी-पीसीआर जांच की संवेदनशीलता और विशिष्टता पूर्व की तरह बरकरार है।
बयान में कहा गया, “इन स्वरूपों के सामने आने से प्रबंधन की रणनीति में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है जो पहले की तरह जांच, संपर्क का पता लगाने, नजर रखने और उपचार पर केंद्रित है। कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिये मास्क का इस्तेमाल सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच बना हुआ है।”