Thursday, November 21, 2024
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हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना संक्रमण ने धारण किया भयावह रूप, वक्त से पहले खत्म हो सकता है मेला

उत्तराखंड में चल रहे महाकुंभ में कोरोना विस्फोट हुआ है। यहां अप्रैल 10-14 के बीच 1701 तीर्थयात्री और साधु कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। बता दें कि मेले में कई धर्मिक संगठन के प्रमुखों ने कोरोना टेस्ट कराने से इंकार कर दिया था।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: April 15, 2021 17:40 IST
1,701 people tested positive for COVID-19 in Haridwar Kumbh Mela area from April 10 to 14: Officials- India TV Hindi
Image Source : PTI उत्तराखंड में चल रहे महाकुंभ में कोरोना विस्फोट हुआ है।

हरिद्वार: उत्तराखंड में चल रहे महाकुंभ में कोरोना विस्फोट हुआ है। यहां अप्रैल 10-14 के बीच 2167 तीर्थयात्री और साधु कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। बता दें कि मेले में कई धर्मिक संगठन के प्रमुखों ने कोरोना टेस्ट कराने से इंकार कर दिया था। नतीजा ये है कि अब मेले में हालात बेहद खराब हो सकते हैं। वहीं, इस दौरान कोरोना गाइडलाइन्स का पालन नहीं किया जा रहा है। ना तो मास्क दिख रहा है और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का ही पालन किया जा रहा है। इससे देखते हुए कुंभ मेला को दो हफ्ते पहले खत्म किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि उत्तराखंड सरकार और धार्मिक नेताओं के बीच चर्चा के बाद यह फैसला लिया गया है। गंगा नदी के तट पर होने वाले वार्षिक कार्यक्रम में नदी में डुबकी लगाने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हुए हैं। इसने देशभर में कोरोना के मामले बढ़ाने को लेकर चिंता बढ़ा दी थी।

हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी शंभु कुमार झा ने कहा कि इस संख्या में श्रद्धालुओं और विभिन्न अखाड़ों के साधु-संतों की हरिद्वार से लेकर देवप्रयाग तक पूरे मेला क्षेत्र में पांच दिनों में की गई आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन जांच दोनों के आंकड़े शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अभी और आरटी-पीसीआर जांच के नतीजे आना बाकी हैं और इस परिस्थिति को देखते हुए कुंभ मेला क्षेत्र में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 2000 के पार निकलने की पूरी आशंका है। हरिद्वार, टिहरी और ऋषिकेश सहित देहरादून जिले के विभिन्न भागों में 670 हेक्टेयर क्षेत्रफल में महाकुंभ क्षेत्र फैला हुआ है। 

सोमवार को सोमवती अमावस्या तथा बुधवार को मेष संक्रांति और बैसाखी के पर्व पर हुए दोनों शाही स्नानों में गंगा में डुबकी लगाने वाले 48.51 लाख श्रद्धालुओं में से ज्यादातर लोग बिना मास्क पहने और सामाजिक दूरी रखने जैसे कोविड से बचाव के नियमों का उल्लंघन करते नजर आए। इस दौरान पुलिस हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड में समय की कमी के चलते अखाड़ों के साधुओं और संन्यासियों को कोविड से बचाव के दिशा-निर्देशों का पालन करवाने में असफल रही। 14 अप्रैल को मेष संक्रांति के शाही स्नान के पहले साधु संत आरटी-पीसीआर जांच के लिए तैयार नहीं हुए। 

वहीं कर्नाटक सरकार ने हरिद्वार में कुंभ मेला से लौटने वाले श्रद्धालुओं को पृथक-वास में रहने की सलाह दी है और कोरोना वायरस की जांच कराने को कहा है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने ट्वीट किया, ‘‘हरिद्वार में कुंभ मेला से राज्य लौटने वाले श्रद्धालु निश्चित रूप से घर पर पृथक-वास में रहें और कोरोना वायरस की जांच करायें। मैं श्रद्धालुओं से अनुरोध करता हूं कि जांच में संक्रमण की पुष्टि नहीं होने पर ही वे अपनी रोजाना की गतिविधि को जारी रखें।’’

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाओं के आयुक्त के. वी. त्रिलोक चंद्रा ने इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया है। भारत सरकार द्वारा हरिद्वार में कुंभ मेला जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का हवाला देते हुए चंद्रा ने कहा, ‘‘कुंभ मेला में शामिल होने वाले श्रद्धालु या आगंतुकों को मानक संचालन प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया जाता है।’’

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