मुंबई: देश में जुलाई में 1.6 करोड़ रोजगार के अवसरों का सृजन हुआ। इनमें से ज्यादातर रोजगार कृषि और निर्माण क्षेत्रों में पैदा हुये। वहीं, इसी अवधि में वेतन वाली नौकरियां 32 लाख घट गईं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (CMIE) ने सोमवार को यह जानकारी दी। CMIE के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) महेश व्यास ने अपने विश्लेषण में कहा, ‘‘जुलाई में भारत में 1.6 करोड़ रोजगार की जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई। लेकिन, जुलाई में जितना भी रोजगार पैदा हुआ, उसकी ‘गुणवत्ता’ खराब थी। छोटे व्यापारी तथा दिहाड़ी मजदूर के रूप में 1.86 करोड़ अतिरिक्त लोग काम कर रहे थे।’’ उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर कृषि क्षेत्र में काम कर रहे थे। इस क्षेत्र में 1.12 करोड़ अतिरिक्त लोगों को रोजगार मिला।
व्यास ने कहा कि अच्छी गुणवत्ता यानी वेतन वाली नौकरियां जुलाई में 32 लाख घट गईं। उन्होंने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ने का मतलब है कि बुवाई गतिविधियां बढ़ रही हैं। मानसून इस बार आंख-मिचौली खेल रहा है। इससे खरीफ की बुवाई गतिविधियों में देरी हुई है। जून 2021 के अंत तक खरीफ की बुवाई एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 20 प्रतिशत से ज्यादा कम थी। वहीं, जुलाई के अंत तक बुवाई एक साल पहले की तुलना में पांच प्रतिशत से अधिक कम रह गईं। जुलाई में बुवाई क्षेत्रफल 6.53 करोड़ हेक्टेयर रहा, जबकि जून में यह 1.95 करोड़ हेक्टेयर रहा था।’’ व्यास ने कहा कि इसी वजह से कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ा है।
उन्होंने कहा, ‘‘आमतौरपर यह बढ़ोतरी जून में शुरू होती है और जुलाई में उच्चस्तर पर पहुंचती है। अगस्त में भी यह बनी रहती है। उसके बाद नवंबर में कृषि क्षेत्र में रोजगार फिर बढ़ता है। वह समय खरीफ की कटाई का होता है। जुलाई में कृषि क्षेत्र में 80 लाख से 1.2 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। इस साल जुलाई में यह आंकड़ा 1.12 करोड़ का रहा है।" उन्होंने कहा कि इस बात की संभावना है कि खरीफ बुवाई सत्र समाप्त होने के बाद ये कृषि श्रमिक अपना रोजगार गंवा देंगे। इन श्रमिकों को मौसम समाप्त होने के बाद वैकल्पिक रोजगार के स्रोत की व्यवस्था की जानी चाहिए।
व्यास ने बताया कि जुलाई में निर्माण क्षेत्र में 54 लाख अतिरिक्त लोगों को रोजगार मिला। वहीं विनिर्माण क्षेत्र में आठ लाख लोगों ने रोजगार गंवाया। सेवा क्षेत्र में सिर्फ पांच लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगार मिला। इस बीच, जुलाई में अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियों में कमी आई। व्यास ने बताया कि जुलाई में वेतनभोगियों की संख्या 7.65 करोड़ थी, जो जून के मुकाबले 32 लाख कम है।