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भोपाल में कैदी ले रहे हैं पुरोहित बनने की ट्रेनिंग, आध्यात्मिक ज्ञान से कम कर रहें हैं अपना तनाव

आपने महात्मा बुद्ध और डाकू अंगुनिमाल की कहानी तो जरुर सुनी होगी। भोपाल की सेंट्रल जेल में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। आध्यात्मिक ज्ञान के जरिए ही कैदियों के जीवन को एक नई दिशा देने की कोशिश की जा रही है। जेल में कैदियों के जीवन को सुधारने की कोशिश की जा रही हे। जेल में कैदियों पुरोहित बनने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।   

Edited by: Praney Sharma @praneysharma
Published : March 20, 2022 15:18 IST
Bhopal Central Jail
Image Source : ANI Bhopal Central Jail

Highlights

  • भोपाल सेंट्रल जेल की अनोखी तस्वीर
  • कैदियों को दी जा रही है ट्रेनिंग
  • पुरोहित बनकर कर पाएंगे जीवन यापन

भोपाल:  भोपाल की सेंट्रल जेल से एक अलग और अनोखी तस्वीर सामने आई है। सेंट्रल जेल में बंद बेहद खतरनाथ अपराधी  जेल के अंदर रहते हुए अपने जीवन को पूरी तरह से बदल रहे हैं। यहां तक की कैदियों को पुजारी बनने की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। कैदियों को गायत्री शक्तिपीठ के द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके अंदर कैदी ना सिर्फ वैदिक ज्ञान हासिल करते हैं बल्कि कुछ कैदियों को पुरोहित बनने के लिए भी ट्रेन किया जा रहा है।

वैदिक अनुष्ठान कर पाएंगे कैदी

सेंट्रल जेल में कैदियों के ना सिर्फ जीवन को नई दिशा देने की कोशिश की जा रही है बल्कि जेल से छुटने के बाद वो पंडित के तौर पर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन भी कर पाएंगे। गायत्री शक्तिपीठ ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारा मकसद उन कैदियों के जीवन को सुधारना है जिन्हे समाज से निष्कासित किया हुआ है। उन्हे अनुष्ठान सिखाया जा रहा है ताकि वो आने वाले समय में लोगो की भलाई के लिए काम कर सकें। शक्तिपीठ ने कहा कि उनका मकसद हे कि जेल में बंद कैदी वापिस समाज में एक मानवीय व्यक्ति के तौर पर जा पाएं।

आध्यात्मिक शिक्षा से बदला जीवन – कैदी  

जेल में हत्या की सजा काट रहे कैदी ने बताया कि इस कार्यक्रम से उसके अंदर काफी बदलाव आया है। पहले वो अपने जीवन में काफी तनाव और दुख महसूस करते थे लेकिन अब वो एक जीवन को एक नई राह देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कैदियों ने बताया कि इस कार्यक्रम से उनके जीवन में शांति का अहसास हुआ है। उन्हे अब इस बात कि उम्मीद है कि जब सजा काटकर वो वापिस अपनों के बीच जाएंगे तो वो उन्हे स्वीकार कर लेंगे ।

जेल के अधिकारियों ने बताया कि करीब 50 कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये ट्रेनिंग करीब एक महीने तक दी जाएगी। जेल अधीक्षक दिनेश नरगावे ने बताया कि गायत्री शक्तिपीठ ने इससे पहले भी कैदियों के लिए काफी काम किया है। जेल में कैदियों को पढ़ाई की ट्रेनिंग भी दी जाती है क्योंकि बड़ी संख्या में कैदी पढ़ने लिखने में सक्षम नही होते हैं। उन्होने बताया कि हमारी कोशिश है कि आध्यात्मिकन,बौद्धिक और नैतिक उत्थान कैदियों में किया जा सके। 

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