Good News: रक्षा बंधन पर अमेठी में अनोखा कॉम्प्टीशन, गिफ्ट के तौर पर घर में टॉयलेट
गुड न्यूज़ | 16 Aug 2017, 11:35 PMरक्षा बंधन पर अमेठी में प्रशासन ने अनोखा कॉम्प्टीशन किया। भाइयों से अपील की कि वो रक्षाबंधन के गिफ्ट के तौर पर घर में टॉयलेट बनवाएं।
रक्षा बंधन पर अमेठी में प्रशासन ने अनोखा कॉम्प्टीशन किया। भाइयों से अपील की कि वो रक्षाबंधन के गिफ्ट के तौर पर घर में टॉयलेट बनवाएं।
गुड न्यूज में आज हम आपको गरीबों को मुफ्त में खाना खिलानेवाले वॉलिंटियर ग्रुप के बारे में बताएंगे। इस वॉलिंटियर ग्रुप का नाम रॉबिन हुड आर्मी है।
देश में हर साल दस लाख लोग कैंसर का शिकार होते हैं और हर साल करीब छह लाख लोगों की मौत होती है। 'कैन सपोर्ट' एक ऐसी संस्था है जो कैंसर पेशेंट्स की मदद करती है
महाराष्ट्र में जिन इलाकों में सूखा पड़ा है, पानी नहीं है वहां आमिर खान ने वाटर कंजरवेशन का अभियान चलाया है। उन्होंने पिछले साल पानी फाउंडेशन की शुरुआत की थी। पानी फाउंडेशन गांव में कुंए तालाब या बांध नहीं बनवाता, न ही गांवों में पानी की सप्लाई करता ह
दिल्ली की सड़कों पर हजारों ऐसे बच्चे है जिनका न कोई घर है और न कोई ठिकाना। सलाम बालक ट्रस्ट ऐसे बच्चों की देखभाल करता है। ये ट्रस्ट बच्चों की देखभाल के लिए अच्छे स्टैंडर्ड अपनाता है। यहां अच्छा खाना मिलता है, खेलने और रहने की अच्छी सुविधाएं है। पढ़ाई
मुंबई से 180 किलोमीटर दूर ठाणे के मुरवाड़ इलाके में एक ऐसा स्कूल है जहां बुजुर्ग महिलाओं को पढ़ाया जाता है और इसका नाम है आजी बाइको ची शाला। ये मराठी नाम है, हिंदी में इसका मतलब होता है बुजुर्ग महिलाओं की पाठशाला। इस पाठशाला में आसपास की 25 से 30 बुज
आजकल देश में गोहत्या पर पाबंदी को लेकर सियासत हो रही है। गोहत्या पर पाबंदी को मुसलमानों के खिलाफ बताया जा रहा है लेकिन आज हम आपको पुणे के एक मुस्लिम परिवार से मिलवाएंगे जो चार पीढ़ियों से गायों की देखभाल कर रहा है। ये फैमिली बेसहारा गायों की देखभाल
कच्छ के रिमोट एरियाज़ में रहने वाली महिलाओं की जिंदगी बदल गई है। जिन महिलाओं ने कभी शहर नहीं देखा उनका काम आज पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका है। श्रृजन नाम की इस संस्था ने कच्छ के गांव की गरीब महिलाओं की कारगरी के हुनर को पूरी दुनिया में पहुंचाया। पहल
वृंदावन में साध्वी ऋतंभरा का एक आश्रम है यहां ऐसे बेसहारा लोगों को सहारा मिलता है जिनके पास अपना परिवार नहीं होता। तीन अलग-अलग आयु वर्ग के लोग होते है। पहला ग्रुप उन बच्चों का है जिनके माता-पिता ने बेसहारा छोड़ दिया। दूसरी कैटेगरी में मिडल एज की महिल
एक मुहिम ने राजस्थान के हजारों लोगों की जिंदगी बदल दी। वो लोग जो गांव में रहते है जोधपुर का फलोदी इलाका है। बहुत सारे गांव ऐसे है जहां आजादी के बाद अब तक लोगों ने बिजली देखी तक नहीं थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटे कारोबारियों की मदद के लिए मई 2015 में मुद्रा योजना शुरू की थी। सरकार ने दावा किया कि पहले वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत 1 लाख 37 हजार 450 करोड़ रुपये के लोन दिए गए। जबकि इस वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री मुद्रा योज
आजादी के 70 साल होने को हैं लेकिन आज भी देश में बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं जिन्हें भर पेट खाना नहीं मिल पाता। इस समय देश में करीब 12 करोड़ बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं इनमें से लाखों बच्चे गरीब परिवारों से आते हैं। कई बार इन बच्चों को भूखे प
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