कर्नाटक: कर्नाटक के गरीब मुस्लिम परिवार के लड़की सारा एमबीए की पढ़ाई करना चाहती थी लेकिन उनके घर के हालात अच्छे नहीं थे कि वो एमबीए कॉलेज की फीस भर सके। पिता सुगर फैक्ट्री में काम करते है। उन्हें कई बार समय पर तनख्वाह नहीं मिलती इसी वजह से सारा एजुकेशन लोन लेकर पढ़ाई करना चाहती थी। उसने जब बैंक से लोन के बारे में बात की तो बैंक वालों ने उनके पिता की फाइनेंशियल कंडीशन को देखते हुए लोन देने से मना कर दिया। ऐसे में सारा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा। 10 दिन के भीतर पीएमओ की तरफ से जवाब आ गया और सारा को लोन मिल गया।
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सारा ने पीएम को चिट्ठी में क्या लिखा था-
आदरणीय सर,
मैं एक मिडल क्लास मुस्लिम परिवार से हूं, जहां लड़कियों को पढ़ाने के लिए बढ़ावा नहीं दिया जाता। लेकिन फिर भी मैं एमबीए की पढ़ाई कर रही हूं। मुझे एजुकेशन लोन की जरूरत है। एक लाख रुपये कॉलेज की फीस में खर्च होगा और तीस हजार रुपये लैपटॉप खरीदने में। इसलिए मुझे हर साल डेढ़ लाख रुपये की जरूरत है। इतना पैसा मेरा परिवार नहीं जुटा सकता। इसलिए मैंने एजुकेशन लोन के लिए अप्लाई किया था। लेकिन बैंक ने हमारे परिवार की हालत को देखते हुए लोन देने से इनकार कर दिया। ऐसे में क्या मैं पैसों की तंगी की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ दूं? सर मैं अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती हूं और आपसे मदद की उम्मीद करती हूं। मोदी जी आपने बोटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ स्कीम शुरू की है। जिसपर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे है लेकिन मेरे केस में बीना पैसों की मदद मिले बेटी पढ़ाओ मुमकिन नहीं है। इसलिए मैं गुजारिश करती हूं कि आप कृपया मुझे एजुकेशन लोन दिलाने में मेरी मदद करें।
-सारा
सारा की इस चिट्ठी पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने तुरंत एक्शन लिया। कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी को लड़की की मदद के लिए डाइरेक्शन दिया। सारा ने बताया कि उसे उम्मीद तो थी कि प्रधानमंत्री से रिस्पॉन्स आएगा लेकिन इतना जल्दी आएगा ये उसने नहीं सोचा था। सरकार कई योजनाएं बनाती है लोगों की मदद करने के लिए लेकिन ऐसा पहली बार लग रहा है कि प्रधानमंत्री दफ्तर गरीब लोगों की फरियाद सुन रहा है और उस पर एक्शन कर रहा है।
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