कोरोना वायरस इस समय देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ा हुआ है। इस समय देश के सामने दोहरी चुनौती है, पहला कोरोना के मामले देश में बढ़ रहे हैं, वहीं कोरोना की जांच के लिए भारत के पास पर्याप्त किटें नहीं हैं। लेकिन भारत की एक बेटी ने देश को एक ऐसी सौगात दी है जो कोरोना से लड़ाई में देश के लिए एक बड़ा हथियार बन सकता है। हम बात कर रहे हैं महिला वायरोलॉजिस्ट मीनल की। मीनल ने देश के लिए पहली कोरोना जांच किट तैयार की है। इस महत्वपूर्ण खोज के दौरान मीनल गर्भवती थीं और कोरोना जांच किट पेश करने के कुछ घंटों बाद ही उन्होंने बच्चे को जन्म दिया।
बीते गुरुवार को, भारत में निर्मित पहला कोरोना वायरस टेस्टिंग किट बाज़ार तक पहुंच गया है। यह किट पुणे की मायलैब डिस्कवरी के वैज्ञानिकों ने तैयार की है। इसमें साथ ही मायलैब भारत की पहली ऐसी फ़र्म बन गई है जिसे टेस्टिंग किट तैयार करने और उसकी बिक्री करने की अनुमति मिली है। कंपनी ने पुणे, मुंबई, दिल्ली, गोआ और बेंगलुरु में अपनी 150 टेस्ट किट की पहली खेप भेजी है। यह मॉलिक्यूलर डायगनॉस्टिक कंपनी, एचआईवी, हेपाटाइटिस बी और सी सहित अन्य बीमारियों के लिए भी टेस्टिंग किट तैयार करती है।
चार महीने की रिसर्च 6 सप्ताह में पूरी की
बीबीसी से एक विशेष बातचीत में मायलैब डिस्कवरी की रिसर्च और डेवलपमेंट प्रमुख वायरोलॉजिस्ट मीनल दखावे भोसले ने बताया कि हमारी किट कोरोना वायरस संक्रमण की जांच ढाई घंटे में कर लेती है, जबकि विदेश से आने वाले किट से जांच में छह-सात घंटे लगते हैं। मीनल उस टीम की प्रमुख हैं जिसने कोरोना वायरस की टेस्टिंग किट यानी पाथो डिटेक्ट तैयार किया है। ऐसी किट को तैयार करने में अमूममन तीन से चार महीने का वक़्त लगता है लेकिन इस टीम ने छह सप्ताह के रिकॉर्ड समय में इसे तैयार कर दिया।
100 प्रतिशत सटीक नतीजे
इस किट को देश को सौंपने के कुछ ही घंटों के बाद मीनल ने एक बच्ची को जन्म दिया है। गर्भावस्था के दौरान ही बीते फ़रवरी महीने में उन्होंने टेस्टिंग किट प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया था। मीनल का कहना है कि यह आपातकालीन परिस्थिति थी, इसलिए मैंने इसे चैलेंज के तौर पर लिया. मुझे भी अपने देश की सेवा करनी है। भारत सरकार के इंडियन काउंसिल फ़ॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने मायलैब किट को सही ठहराया है। आईसीएमआर ने कहा कि मायलैब भारत की इकलौती कंपनी है जिसकी टेस्टिंग किट के नतीजे 100 प्रतिशत सही हैं।