पुणे: आजकल देश में गोहत्या पर पाबंदी को लेकर सियासत हो रही है। गोहत्या पर पाबंदी को मुसलमानों के खिलाफ बताया जा रहा है लेकिन आज हम आपको पुणे के एक मुस्लिम परिवार से मिलवाएंगे जो चार पीढ़ियों से गायों की देखभाल कर रहा है। ये फैमिली बेसहारा गायों की देखभाल करने के साथ साथ देसी गायों की नस्ल को बेहतर बनाने में जुटी हैं। बड़ी बात ये है कि ये लोग ये काम कमर्शियल यूज के लिए नहीं करते। अब भी ये परिवार गायों पर अपनी जेब से पैसे खर्च करता है। गायों की देखभाल करना इस परिवार का शौक बन चुका है।
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चार पीढ़ी से गौशाला चला रहा है पठान परिवार
पुणे के लोणी गांव में पठान परिवार की गौशाला काफी फेमस है और इसका नाम है रचना गौशाला। इसकी शुरुआत 40 साल पहले जब्बार खान पठान और उनकी पत्नी ने की थी तब उनके पास 6 गायें थीं। अब इस गौशाला में गायों की संख्या 376 हो गई है। इस परिवार को आसपास जो भी बेसहारा गायें दिखती हैं उसे ये अपनी गौशाला में ले आते हैं। गौशाला में गायों के इलाज के लिए हाईटेक ट्रीटमेंट का इंतजाम है।
देसी गायों की ब्रीड बेहतर बनाने की कोशिश
गौशाला चालीस एकड़ जमीन में हैं। दस एकड़ में गायें रहती हैं और बाकी 30 एकड़ पर चारा उगाया जाता है। गौशाला की गायें हर रोज करीब 400 लीटर दूध देती है, जिसमें से दो सौ लीटर गाय के बछड़ों के लिए छोड़ दिया जाता है। बाकी दूध से होने वाली आमदनी गौशाला के रखरखाव पर खर्च की जाती है। पठान परिवार की नई पीढ़ी अब गायों की नस्ल सुधारने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का इस्तेमाल कर रही है।
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