भले ही कथित गोरक्षा के नाम पर कुछ लोग इंसानी ज़िंदगी की अहमियत न समझते हों मगर हमारे खबसूरत देश में ऐसे भी नगीने हैं जो पशु-पक्षियों की ज़िंदगी को भी अनमोल मानते हैं। ऐसे ही नगीनों में एक हैं हरसुख भाई डोबरिया जो सुदूर गांव में अनगिनत पक्षियों के लिए हर दिन हर पल सैंटा क्लाज हैं। हरसुख भाई पिछले 17 सालों से पक्षियों की देखभाल कर रहे हैं। इसकी शुरूआत केवल बाजरे की एक बाली से हुई जिसे उन्होंने अपनी बालकनी में टांगा था।
वर्ष 2000 में दुर्भाग्यवश एक दुर्घटना में हरसुख बाई का पैर टूट गया। उसी समय वे अपनी बालकनी में आराम कर रहे थे तभी हरसुख भाई के एक मित्र अपने खेत से कुछ बाजरे की बाली लेकर आए, उनमें से एक को उन्होंने अपने पास में टांग दिया। कुछ देर के बाद एक तोता वहां आ पहुंचा और बाजरे के दाने से भूख मिटाने लगा। फिर देखते ही देखते तोते की संख्या बढ़ने लगी तो उनकी परेशानियां भी बढ़ रही थी क्योंकि उनके लिए बाजरे की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। परंतु उनकी बढ़ती हुई संख्या से वे बहुत खुश थे। तभी उन्होंने एक उपाय किया और कुछ पुराने पाइप में छेद करके उनमें बाजरे की बाली को फंसा दिया, जिससे सभी पक्षी आराम से दाना चुगते। हरसुख भाई का परिवार दिन में दो बार पाइप में बनी जाली की बाजरे की बाली बदलते थे। उनके परिवार को भी पक्षियों को देखकर अच्छा लगता था।
शुरूआत में हरसुख भाई का परिवार शहर के बीच में रहता था, तथा बालकनी भी छोटी थी तो पक्षियों को दाना चुगने में परेशानी होती थी। वर्ष 2012 में हरसुख भाई शहर के बाहर अपने निजी घर में चले गए। हर साल वे और उनका परिवार 10,000, गौरेयों की भी देखभाल करते हैं, और सुनिश्चित करते हैं कि कहीं उनके बच्चों को किसी जानवर से खतरा तो नहीं है। उनके घर के दरवाजे सभी पक्षियों के लिए सदैव खुले रहते हैं। खासतौर पर बारिश में ताकि सभी वहां आकर रुक सके। पक्षी प्रेम के अतिरिक्त हरसुख भाई नई प्रकार की फसल तथा पौधों पर प्रयोग करते रहते हैं। इसी वर्ष इनको सृष्टि सम्मान से सम्मानित किया गया।