नई दिल्ली. राष्ट्रीय राजधानी में हाल के दिनों में हुईं आपराधिक घटनाओं में सैकड़ों बच्चों की संलिप्तता के मद्देनजर दिल्ली पुलिस का जोर अब गुमशुदा बच्चों को तलाशने और छुड़ाने पर है। बीते दो महीनों में 537 बच्चे ढूंढ निकाले गए। पुलिस ने महसूस किया कि अगर इन बच्चों को समय पर नहीं छुड़ाया जाता तो ये अपराधियों के चंगुल में फंसे रहते और इनसे चोरी से लेकर हत्या जैसे जघन्य अपराध तक करवाया जाता।
दिल्ली पुलिस के अद्धवार्षिक सांख्यिकी के अनुसार, बीते छह महीनों में जघन्य अपराधों में संलिप्तता को लेकर कम से कम 325 और अजघन्य अपराधों में शामिल रहे 1,014 किशोरों को पकड़ा गया। दिल्ली पुलिस के आयुक्त एस.एन. श्रीवास्तव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब बच्चों की गुमशुदगी के मामलों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाएगा। पुलिस अधिकारियों को गुमशुदा बच्चों की तलाश और उन्हें अपराधियों के चंगुल से छुड़ाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "बीते दो महीनों में, दिल्ली में 724 बच्चे गुम हुए हैं, जबकि इसी अवधि में 537 बच्चे अपराधियों के चंगुल से छुड़ाए गए। जिन पुलिसकर्मियों ने एक साल के अंदर कम से कम 50 छुड़ाए हैं, उन्हें प्रमोशन दिया जाएगा।"
राष्ट्रीय राजधानी में कम से कम 20 बच्चे हर रोज गुम हो जाते हैं। अपराधी बच्चों के अपहरण का संगठित रैकेट चला रहे हैं। ये बच्चों को संगठित गिरोहों और अन्य अपराधियों के हाथों बेच देते हैं। इस साल जून और जुलाई के उपलब्ध आंकड़े के अनुसार, दो महीनों में 724 बच्चे गुम हुए। इनमें 18 से कम उम्र की 552 लड़कियां और आठ साल से कम उम्र के 49 लड़के शामिल हैं।