Coronavirus Vaccine: भारत इस समय अब तक के सबसे बडे मानवीय संकट से गुजर रहा है। कोरोना वायरस सवा लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। इस बीच लोगों की एक मात्र आशा कोरोना वैक्सीन पर टिकी है। लेकिन अभी वैक्सीन को आने में अभी भी करीब 6 महीने का वक्त लगेगा। इस बीच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के निदेशक डॉक्टर रंदीप गुलेरिया (Randeep Guleria) ने लोगों को राहत देने वाली बात कही है।
गुलेरिया के मुताबिक संभव है कि भारत को कोरोना वैक्सीन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा है कि कोरानावायरस के बढ़ते प्रकोप के बाद हम हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) की स्थिति में आ जाएंगे। उस वक्त हमें वैक्सीन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन उन्होंने यह भी संभावना जताई कि अगर वायरस म्यूटेट नहीं होता है और इसमें कोई बदलाव नहीं आता है तो लोग वैक्सीन लगाने के बारे में सोच सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि हो सकता है इसकी जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि हम हर्ड इम्युनिटी पा लेंगे तो ऐसी स्थिति में वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी।
वायरस की प्रकृति पर निर्भर हर्ड इम्युनिटी
वायरस में कैसे परिवर्तन आता है और लोगों को दुबारा संक्रमित कर सकता है या नहीं। अभी जांच ही कर रहे हैं कि आने वाले कुछ महीनों में वायरस कैसे व्यवहार करेगा और उसी के आधार पर कोई फैसला लिया जा सकता है कि कितनी जल्दी-जल्दी वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ेगी। अगर अच्छी हर्ड इम्युनिटी आ जाती है तो ये एक चुनौती होगी, क्योंकि वैक्सीन बनाने में काफी पैसा खर्च हुआ है और वैक्सीन निर्माता को ये चिंता सता रही है कि कहीं वैक्सीन की मांग न कम हो जाए।
वैज्ञानिकों के लिए अबूझ पहली है कोरोना वायरस
कोरोनोवायरस दुनिया की पहली सबसे बड़ी महामारी है जिसने इतनी बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया है। मुश्किल यह है कि पिछली महामारी इन्फ्लूएंजा वायरस (influenza virus) के चलते हुई थी। कोरोनावायरस एक नया वायरस है जो श्वसन तंत्र को संक्रमित कर देता है. और उसके बाद कई प्रभाव होते हैं। यह वायरस रिसेप्टर्स से जुड़ जाता है जो शरीर में कई अंगों में मौजूद होते हैं। यह ब्लड वेसेल्स में सूजन पैदा कर देता है और यदि ये ब्लड वेसेल्स हृदय में हैं, तो इससे हृदय की मांसपेशियों को मायोकार्डियल क्षति हो सकती है। इससे थक्के बनने की संभावना अधिक होती है और स्ट्रोक भी लग सकता है।