सेहत के लिए वात पित्त और कफ का बैलेंस होना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ हमारे शरीर की प्रकृति तय करता है। वात दोष वायु से होता है, कफ दोष पानी से तो वहीं पित्त दोष का अग्नि से संबंध होता है। आयुर्वेद के अनुसार कफ दोष में 28 रोग, पित्त रोग में 40 रोग और वात दोष में 80 प्रकार के रोग होते हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार वात पित्त और कफ को त्रिदोष कहते हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार इन तीनों समस्यों में आराम कुछ योगासन द्वारा मिल सकता है।
सूक्ष्म व्यायाम असरदार
- सबसे पहले पैर फैलाकर सीधे बैठ जाएं
- एड़ियों से नीचे की ओर पैर को बैठे बैठे घुमाए
- हाथ को आगे की ओर फैलाएं और मुट्ठी बांधकर गोल गोल घुमाए
- बैठे बैठे दोनों हाथ को एक दूसरे से पकड़ें और चक्की चलाए
त्रिदोष से छुटकारा पाने के लिए करें ये योगासन
सूर्य नमस्कार के फायदे
- आंखों के लिए बेहद फायदेमंद है
- शरीर को ऊर्जा मिलती है
- पाचन तंत्र बेहतर होता है
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
- डिप्रेशन दूर करता है
- एनर्जी लेवल बढ़ाने में सहायक है
- शरीर को डिटॉक्स करता है
- फेफड़ों तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है
भुजंगासन
- किडनी को स्वस्थ बनाता है
- लिवर से जुड़ी दिक्कत दूर होती है
- तनाव, चिंता, डिप्रेशन दूर करता है
- कमर का निचला हिस्सा मजबूत बनता है
- फेफड़ों, कंधों, सीने को स्ट्रेच करता है
- कमर, पीठ दर्द दूर होता है
- इस आसन से छाती चौड़ी होती है
- रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है
- मोटापा कम करने में सहायक
- शरीर को सुंदर और सुडौल बनाता है
सर्वांगासन
- ब्रेन में एनर्जी का फ्लो बढ़ाता है
- एजिंग को रोकने में सहायक
- शारीरिक संतुलन ठीक रहता है
इसके अलावा ये योगासन भी करें
- उष्ट्रासन
- धनुरासन
- वृक्षासन
- शलभासन
कैसा हो खानपान
- खाना खाने के बाद पानी तुरंत ना पीएं
- खाना खाने के 1 घंटे बाद पानी पीएं
- सुबह नाश्ते में जूस पीना अच्छा होता है
- रात में खाने के बाद दूध पीना फायदेमंद
ये व्यायाम भी लाभकारी
कपाल भाति
- रोजाना सुबह शाम कपालभाति करने से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या को दूर किया जा सकता है।
- मन को शांत रखता है।
- थायराइड की समस्या दूर से निजात दिलाता है।
- सिगरेट की लत से छुड़ाने में मददगार है कपालभाति।
- जिन लोगों को सिगरेट पीने की लत हो जाती है तो उनके फेफड़े ब्लॉक हो जाते हैं। कपालभाति की मदद से फेफड़े की ब्लॉकेज को सही कर सकता है।
- कपालभाति से क्रॉनिक लिवर, क्रॉनिक किडनी और फैटी लिवर की समस्या दूर होती है।
- हैपेटाइटिस की समस्या को भी कपालभाति दूर करने में मददगार है।
भ्रामरी
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद करते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 5 से 7 बार जरूर करना चाहिए। भस्त्रिका करने से शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ जाता है। जिसके कारण कैंसर की कोशिकाएं मर जाती हैं।
अनुलोम विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस प्राणायाम को करने से क्रोनिक डिजीज, तनाव, डिप्रेशन, हार्ट के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है। इसके अलावा ये मांसपेशियों की प्रणाली को भी ठीक रखता है। इसे 10 से 15 मिनट करें।
त्रिदोष में कारगर
- एलोवेरा वात, पित्त और कफ बैलेंस करता है
- गिलोय जोड़ों के दर्द में लाभदायक
- पीडांतक क्वाथ
- हरसिंगार, निर्गुंडी से होगा फायदा